डिजिटल अरेस्ट नहीं होता, डरें नहीं

साइबर फ्रॉड का एक तरीका
पुलिस को सीधे करें सूचित

इंदौर: साइबर फ्रॉड में रोज अलग तरीके इजाद किए जा रहे है. इसी कड़ी में डिजिटल गिरफ्तारी नया तरीका है साइबर फ्रॉड करने का. वास्तविकता में डिजिटल अरेस्ट ( गिरफ्तारी ) होती ही नहीं है, बल्कि व्यक्ति या अपराधी को सीधे गिरफ्तार किया जाता है.साइबर सुरक्षा को लेकर नवभारत हर हफ्ते साइबर फ्रॉड से बचने के विषय में लगातार जानकारी दे रहा है. इसकी वजह यह है कि सबसे ज्यादा अपराध मोबाइल यूजर्स को धमकाकर ठगी करने के हो रहे है. इसी तरह साइबर फ्रॉड में आजकल मोबाइल यूजर्स को डिजिटल अरेस्ट करना बताकर लाखों की ठगी की का रही है.

डिजिटल गिरफ्तारी के तहत किसी से बात नहीं करे, अपने कमरे या घर को छोड़कर नहीं जाए, आपके माता-पिता को उठा लेंगे, उनको जेल भेज देंगे. इस तरह मानसिक रूप से आपको डिजिटल अरेस्ट कर दिया जाता है. आपको घर या कमरे में ही बार-बार कॉल कर डराया जाता है. मानसिक रूप से इतने प्रताड़ित कर दिए जाते हैं कि कोई रास्ता नहीं सूझता है. कई बार व्यक्ति पैसे देकर छुटकारा पाना चाहता है या फिर आत्महत्या कर लेता है. मोबाइल यूजर्स के लिए यह सलाह है कि डिजिटल अरेस्ट (गिरफ्तारी ) नाम से पुलिस और कानून में कुछ नहीं है. ऐसे किसी भी डिजिटल अरेस्ट करने वालों से डरे नहीं, बालक नजदीकी पुलिस स्टेशन से सहायता ले.
शारीरिक रूप से ही करती है गिरफ्तार
इंदौर क्राइम ब्रांच और साइबर सेल एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया बताते है कि डिजिटल अरेस्ट नही होता है. पुलिस सिर्फ अपराधी को शारीरिक रूप से ही गिरफ्तार करती है. डिजिटल अरेस्ट का मतलब है आप साइबर फ्रॉड का शिकार हो सकते है इसलिए उक्त मामले में पुलिस से सीधे संपर्क करे और शिकायत दर्ज करवाएं.

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