देश में बढ़ते बाल अपराध चिंता का विषय

इन दिनों बच्चों व महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर देशव्यापी चिंता कई मंचों से उजागर हो रही है साथ ही इन अपराधों के प्रति पुलिस व एजेंसियों की संवेदनहीनता पर अदालतें गाहे-बगाहे सख्त टिप्पणियां कर रही हैं. कुछ समय पहले जिला अदालतों के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भी महिलाओं व बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर गंभीर चिंता जतायी थी. साथ ही त्वरित न्याय से समाधान की बात कही थी.

देश के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़े तो विचलित ही करते हैं, जिसमें कहा गया था कि साल 2023 में भारत में हर घंटे में औसतन 18 बच्चे अपराधों के शिकार बने. वहीं पिछले एक दशक में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 75 प्रतिशत वृद्धि की बात एनसीआरबी ने स्वीकारी है. बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि वर्ष 2023 में बीते वर्ष की तुलना में जहां अपराधों में कमी दर्ज की गई, वहीं दूसरी ओर बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में नौ प्रतिशत की वृद्धि एनसीआरबी के आंकड़ों में दर्ज की गई.यह हमारे नीति-नियंताओं के लिये गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए कि देश में बच्चों के खिलाफ अपराधों में क्यों लगातार वृद्धि हो रही है.विडंबना यह है कि एनसीआरबी केवल उन्हीं अपराध के आंकड़ों का उल्लेख करता है, जो थानों में दर्ज होते हैं. दरअसल, बच्चों के खिलाफ बड़ी संख्या में होने वाले अपराध अक्सर दर्ज ही नहीं होते. कानूनी जानकारी न होने और थानों व कचहरियों के चक्कर काटने से बचने के लिये अभिभावक कई मामलों में रिपोर्ट दर्ज ही नहीं करवाते.कुछ मामलों को पुलिस दर्ज करने से बचती है. ऐसे में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की वास्तविक स्थिति का आकलन करना सहज नहीं होगा. बहरहाल, ये बढ़ते अपराध हमारे समाज में गहरी होती संवेदनहीनता और समाज में नैतिक मूल्यों के पराभव की ओर भी इशारा करती है. बच्चों के खिलाफ अपराध केवल हमारे सामाजिक व्यवस्था में ही नहीं बढ़े, बल्कि इसका दायरा वर्चुअल दुनिया में भी तेजी से बढ़ा है. बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों में खासी तेजी आई है. चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2023 में बच्चों के विरुद्ध पहले साल के मुकाबले बत्तीस प्रतिशत अधिक साइबर अपराध दर्ज हुए. जो निरंतर गंभीर होती स्थिति को दर्शाते हैं .हाल के दिनों में स्कूल-कालेजों में ऑनलाइन पढ़ाई का दायरा बढऩे और मोबाइल की सहज उपलब्धता से बच्चों की इस क्षेत्र में सक्रियता बढ़ी है. सस्ते इंटरनेट व मोबाइल फोन ने बच्चों के लिये सोशल मीडिया व गेमिंग की दुनिया में पहुंच आसान बनायी है.बच्चे इंटरनेट की आपराधिक दुनिया से अनभिज्ञ हैं। उन्हें इन खतरों से बचाव का प्रशिक्षण न तो स्कूल में दिया जाता है और न ही पुरानी पीढ़ी के अभिभावक दे पाए. जिसके चलते ही वे साइबर अपराधियों का आसान शिकार बनते हैं.दरअसल, कोरोना महामारी तो चली गई, लेकिन इस संकट के चलते उपजी परिस्थितियों ने बच्चों के ऑनलाइन रहने का टाइम बढ़ा दिया है.अभिभावक यदि बच्चों को अधिक मोबाइल के इस्तेमाल पर टोकते हैं तो वे स्कूल के काम का तर्क देकर गेमिंग व सोशल मीडिया की गतिविधियों में लिप्त रहते हैं.यह समय का बड़ा संकट है कि बच्चे न तो अभिभावकों से संस्कार पा रहे हैं और न ही शिक्षकों से. उन्हें मोबाइल पर संस्कार वे अनाम व अज्ञात कंपनियां दे रही हैं, जिनके लिये बच्चे महज उपभोक्ता और पैसा कमाने का जरिया हैं. आज इंटरनेट के खुले और छिपे स्वरूप पर अपराधों की एक ऐसी समांतर दुनिया संचालित है, जिन्हें दुनिया की ताकतवर सरकारें भी नियंत्रित नहीं कर पा रही हैं.दरअसल, अधिकांश बच्चे इस चुनौती के मुकाबले के लिये डिजिटली साक्षर नहीं हो पाए हैं। इसके लिये साइबर कानून को अधिक सशक्त व प्रभावी बनाने की जरूरत है.ताकि बच्चों के खिलाफ अपराध, धोखाधड़ी व साइबर बुलिंग करने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सके.निश्चित रूप से आज देश के सत्ताधीशों को साइबर अपराधों से बच्चों व महिलाओं को सुरक्षित बनाने के लिये कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा.

Next Post

राशिफल-पंचांग : 23 सितम्बर 2024

Mon Sep 23 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email पंचांग 23 सितम्बर 2024:- रा.मि. 01 संवत् 2081 आश्विन कृष्ण षष्ठी चन्द्रवासरे रात 7/22, रोहिणी नक्षत्रे रातअंत 4/16, वज्र योगे दिन 12/13, गर करणे सू.उ. 6/0 सू.अ. 6/0, चन्द्रचार वृषभ, पर्व- षष्ठी श्राद्ध, शु.रा. 2,4,5,8,9,12 अ.रा. 3,6,7,10,11,1 […]

You May Like