किसी ने नहीं सुनी
मान्धाता थाने में लिखित रिपोर्ट दी गई, किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की। सी एम हेल्पलाइन, कलेक्टर खंडवा, जनसुनवाई, एसडीएम, नायब तहसीलदार, सीएमओ नगर परिषद ओंकारेश्वर, अपर कलेक्टर खंडवा, को लिखित शिकायतें की गई हैं। पहले भी धरना आंदोलन की सुचना कलेक्टर को दी थी।
पहले धरना निरस्त किया
उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आध्यगुरु शांकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करने आने वाले थे। तत्कालीन एस डी एम बजरंग बहादुर ने अतिक्रमण स्थल पर आकर मुआयना किया था। तत्कालीन सीएमओ, आरआई, नगरपरिषद ओंकारेश्वर भी थे। पंचनामा बनाया था। आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री के दौरे के बाद निराकरण कर देंगे। इसके बाद धरना आंदोलन स्थगित कर दिया था।
इसलिए अनशन का निर्णय
श्री पुरोहित ने बताया कि एक वर्ष बीत गया। कोई निराकरण नहीं किया गया। इस बीच कई बार अधिकारियों को शिकायत की। सीएम हेल्पलाइन पर भी रिमाइंड किया। वहां से शिकायत का निराकरण करने के पत्र भी संबंधित अधिकारियों को आए, किन्तु कोई निष्कर्ष नहीं निकला। शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया। मैंने शिकायत वापस नहीं ली। उन्होंने कहा कि इससे छुब्ध होकर मैंने आमरण अनशन करने का निर्णय लिया है। निमरानी वाले भी उनकी जमीन को मंदिर ट्रस्ट को दान देना चाहते हैं।