नयी दिल्ली, 11 सितंबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वीडियो संदेश के माध्यम से यहां ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया और जलवायु परिवर्तन से निपटने और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत को अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत एक स्वच्छ, हरित ग्रह के निर्माण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम जी20 देशों में से पहले थे, जिन्होंने हरित ऊर्जा पर पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को समय से पहले पूरा किया।”
श्री मोदी ने कहा कि भारत मौजूदा समाधानों को और मजबूत बनाने का प्रयास जारी रखेगा तथा देश अभिनव दृष्टिकोणों को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन ऐसी ही एक सफलता है, जिसमें रिफाइनरियों, उर्वरकों, इस्पात और भारी शुल्क वाले परिवहन जैसे कठिन-से-विद्युतीकरण क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। वर्ष 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन इस महत्वाकांक्षा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नवाचार को बढ़ावा देगा, बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा, उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करेगा और हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेगा।”
उन्होंने अक्षय ऊर्जा विकास में भारत के नेतृत्व पर जोर देते हुए कहा, “पिछले दशक में भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और इसी अवधि में हमारी सौर ऊर्जा क्षमता में 3000 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है।”
कार्यक्रम में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए कहा, “इस मिशन में न केवल आठ लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने और छह लाख नौकरियां पैदा करने की क्षमता है, बल्कि आयातित प्राकृतिक गैस और अमोनिया पर निर्भरता को भी काफी कम करेगा, जिससे सालाना एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।”
उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हमारे प्रयास 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 50 लाख टन तक कम करने में भी योगदान देंगे, जिससे भारत वैश्विक मंच पर सतत विकास के प्रतीक के रूप में स्थापित होगा।”
इस अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस पुरी ने कहा, “वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता में बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है, जिसमें हरित हाइड्रोजन पर महत्वपूर्ण ध्यान देना शामिल है। वर्ष 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का हमारा लक्ष्य हमारी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने कहा कि इसके लिए 100 अरब डॉलर के निवेश और 125,000 मेगावाट की नई अक्षय ऊर्जा क्षमता के विकास की आवश्यकता होगी।
श्री पुरी ने कहा, “हम इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट, हाइड्रोजन हब और अनुसंधान एवं विकास की पहल लागू कर रहे हैं और इसके लिए एक मजबूत वित्तीय आवंटन तथा एक व्यापक प्रोत्साहन ढांचे के माध्यम से मदद दी जा रही है।”
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर एस. भल्ला ने श्री भल्ला ने प्रधानमंत्री की पंचामृत योजना के अनुरूप भारत के महत्वाकांक्षी ग्रीन हाइड्रोजन उद्देश्यों पर भी जोर दिया जिसमें 2030 तक पांच लाख मेगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करना शामिल है। श्री भल्ला ने परिवहन और शिपिंग क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं, ग्रीन हाइड्रोजन हब के निर्माण, अनुसंधान और विकास, कौशल विकास के साथ-साथ भंडारण और परिवहन जैसे घटकों के लिए आवंटित बजट पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत में हाइड्रोजन की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, जिसे बढ़ाने की योजना है।