० करोड़ों के निर्माण में गुणवत्ता एवं अनियमितता की जांच में फंसे आरईएस विभाग के संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर को दिया गया है आडिटर और एसएसी का प्रभार
नवभारत न्यूज
सीधी 4 सितम्बर। … एक संविदा कम्प्यूटर आपरेटर पर आरईएस विभाग के अधिकारी क्यों मेहरबान है। करोड़ों के निर्माण में गुणवत्ता एवं अनियमितता की जांच में फंसे आरईएस विभाग के ऑडिटर और एसएसी का संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर को सालों से प्रभार सौंपना भी सवालों के घेरे में है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नीलेश पाण्डेय की कम्प्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति हुये करीब 17 वर्ष हो गये। जिन्हे लगभग 8-9 वर्ष पूर्व ऑडिटर का प्रभार मिला था। इधर तत्कालीन ईई आरईएस हिमांशु तिवारी द्वारा 4-5 वर्ष से एसएसी(सीनियर एकाउंट क्लर्क) का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। नीलेश पाण्डेय संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर कुसमी एवं सीधी के ऑडिटर के साथ सीनियर एकाउंट क्लर्क भी थे। इस दौरान यहां करोड़ों के निर्माण कार्य एवं भुगतान हुये, जहां की जांच में व्यापक पैमाने में गुणवत्ता की कमी के साथ अनियमितता भी पाई गई। जांच में ईई सहित दो एसडीओ निलंबित हुये। लेकिन इन सबमें एक प्रमुख कड़ी संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर नीलेश पाण्डेय आज भी कुसमी एवं सीधी के ऑडिटर के प्रभार के साथ सीनियर एकाउंट क्लर्क का कार्य देख रहे हैं।
उधर सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन ईई हिमांशु तिवारी के कार्यकाल के दौरान संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर नीलेश पाण्डेय पूरी तरह से पावर में रहे हैं। उनके द्वारा ईई एवं विभागीय इंजीनियरों के साथ ही ठेकेदारों के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी रहे हैं। करोड़ों का गोलमाल कैसे करना है इसके संबंध में उनके द्वारा संदेश भी इधर-उधर पहुंचाये जाते थे। संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर से क्लीन चिट मिलने के बाद विभागीय इंजीनियर एवं ठेकेदार भी मनमानी करने के लिये फ्री हैण्ड हो जाते थे। संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर के पास विभागीय घोटाले का पूरा राज है। इस महत्वपूर्ण कड़ी से पूंछतांछ करने की जरूरत अभी नहीं समझी गई है। अभी तक जांच टीमों द्वारा केवल मौजूद रिकार्डों के आधार पर ही धरातल के कार्यों का परीक्षण किया गया है। उसी के आधार पर प्रारंभिक जांच प्रतिवेदन आरईएस जबलपुर के वरिष्ठ इंजीनियर द्वारा भोपाल प्रेषित किया गया। उसी के आधार पर तीन अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिरी है।
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जांच में ऑडिट के कागजातों को खंगालने की दरकार
आरईएस विभाग सीधी के संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर नीलेश पाण्डेय को वर्षों से कुसमी एवं सीधी के ऑडिटर एवं एसएसी की जिम्मेदारी मिली हुई थी। इनके द्वारा भी मनमानी तौर पर ऑडिट के कागजातों को तैयार किया गया है। प्रारंभिक जांचों में अभी तक सबसे अधिक घोटाला सीधी एवं कुसमी में ही सामने आया है। करोड़ो के घोटाले सामने आने के बाद ऑडिट कार्य में लगे संविदा कम्प्यूटर ऑपरेटर पर अभी तक कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी गई। सूत्रों का कहना है कि विभागीय जांच में संविदा ऑपरेटर द्वारा जिन कागजातों की ऑडिट की गई है उसका विस्तृत परीक्षण होना काफी जरूरी है।
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निलंबित ईई को आज भी ऑपरेटर दिखाते हैं विभागीय फाईलें
करोड़ों के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की कमी और अनियमितता की शिकायतों की जांच में फंसे निलंबित आरईएस ईई सीधी हिमांशु तिवारी सीधी आये हुए हैं। विभागीय सूत्रों की यदि बात सही मानी जाये तो संविदा कम्प्यूटर आपरेटर नीलेश पाण्डेय उनके सीधी के बंगले में आज भी विभागीय फाइल दिखाने ले जाते हैं। आपरेटर का यह क्रियाकलाप कई सवाल खड़ा कर रहा है।
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इनका कहना है
विभाग द्वारा योग्यता और कार्य करने की सक्षमता के आधार पर कर्मचारियों को कार्य का दायित्व दिया जाता है। जहां तक बात एक संविदा कम्प्यूटर आपरेटर नीलेश पाण्डेय को ऑडिटर और एसएसी का प्रभार दिये जाने की है तो कहीं से नियम विरुद्ध नहीं है। आज ज्यादातर विभागों के प्रमुख पदों में संविदा में अधिकारी-कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। विभाग के कार्यों की जो जांच हुई है उसमें इनकी क्या भूमिका है इसे प्रथम दृष्टया कुछ नही कहा जा सकता है। आगे उनके कार्य व्यवहार पर ही कोई निर्णय लिया जायेगा।
मनोज कुमार बाथम, प्रभारी ईई आरईएस सीधी
नवभारत के माध्यम से संज्ञान में आये इस विषय को लेकर प्रभारी कार्यपालन यंत्री आरईएस सीधी से चर्चा कर नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई हेतु निर्देशित किया जायेगा।
अतुल चतुर्वेदी, अधीक्षण यंत्री आरईएस रीवा
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