देहरादून, 01 सितंबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को उत्तराखंड के देहरादून स्थित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य महाविद्यालय (आरआईएमसी) के कैडेट्स से आग्रह किया कि वे अपने संस्थान के आदर्श- बल, विवेक को चरितार्थ करें तथा ताकत और ज्ञान विकसित करें, ताकि वे जीवन की बड़ी जंग को लड़ सकें।
श्री धनखड़ ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 10 दिसंबर, 1962 को आरआईएमसी कैडेट्स को दिए गए भाषण की याद दिलाते हुए, दोहराया,“पृथ्वी बहादुरों की होती है, आत्मा में ताकत रखने वालों की होती है, आलसी और अक्षम लोगों की नहीं। इस महान प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता की दुनिया में, हमें आत्म-नियंत्रण और बलिदान से जीवन जीना होगा । इन महान आदर्शों को जीवन में धारण करें।”
श्री धनखड़ ने कहा,“ताकत और विवेक एक मजबूत संयोजन बनाते हैं, जो चुनौती का सामना करने पर अभेद्यता उत्पन्न करता है।” राष्ट्र के हित को सभी परिस्थितियों में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए, उन्होंने कहा,“देश की सेवा गर्व और निर्भीकता के साथ करें। भारत माता आपका इंतजार कर रही है। राष्ट्र का भविष्य आपके कंधों पर है। हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दें। आपका आचरण अनुशासन, शिष्टाचार और सहानुभूति का उदाहरण होना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने आरआईएमसी के पूर्व छात्रों और समुदाय से आग्रह किया कि वे एक ‘थिंक टैंक’ के रूप में कार्य करें और युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना का संचार करें तथा उन लोगों के खिलाफ़ कदम उठाएं, जो ग्राउंड रियलिटी से अज्ञात हैं और भारत की अद्वितीय आर्थिक वृद्धि, विकास यात्रा और वैश्विक मंच पर उन्नति को नहीं मानते।
उन्होंने कैडेट्स को कठिनाइयों के समय भी खड़ा रहने के लिए प्रेरित करते हुए कहा,“मेरे प्रिय युवा कैडेट्स, आपकी व्यक्तिगत और पेशेवर यात्रा में, आप ऐसे क्षणों का सामना करेंगे जो आपको परखेंगे। ऐसे दिन आएंगे जब आपकी धैर्यता कम हो जाएगी और थकावट बढ़ेगी। आप सभी अपने-अपने संघर्षों का सामना करेंगे, लेकिन याद रखें कि जो लोग चुनौती का सामना करते हैं और विपरीत परिस्थितियों में जोखिम उठाते हैं, वे ही साहस, पहल और नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।”
विफलता के भय को विकास का सबसे बड़ा हत्यारा बताते हुए, श्री धनखड़ ने कैडेट्स से कहा,“जीवन में कभी विफलता से न डरें, यह सफलता की ओर एक कदम है। डर की भावना आपकी प्रतिभा के उपयोग और आपके संभावनाओं की वास्तविकता में बाधा डालती है। हमेशा याद रखें, डर हमारे विकास की यात्रा का आवश्यक हिस्सा है।”
उन्होंने चंद्रयान मिशन की सफलता की कहानी का जिक्र करते हुए कहा,“ऐतिहासिक चंद्रयान मिशन को याद करें। चंद्रयान-2 आंशिक रूप से सफल हुआ, लेकिन पूरी तरह से नहीं। कुछ के लिए यह विफलता थी और समझदार लोगों के लिए यह सफलता की ओर एक कदम था। इसके बाद पिछले वर्ष 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया, और भारत ने इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाला पहला राष्ट्र बन गया।”
आरआईएमसी और सैनिक स्कूलों में लड़कियों की भर्ती की सराहना करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि ये कदम लिंग समानता और न्याय के लिए महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा,“हमारी महिलाएं लड़ाकू विमानों की पायलट हैं, वे अंतरिक्ष मिशनों की कमान संभाल रही हैं, और हर रुकावट को तोड़ रही हैं। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण निश्चित रूप से एक गेम चेंजर होगा।”
इस अवसर पर, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज के कमांडेंट, कर्नल राहुल अग्रवाल, कैडेट्स, शिक्षकगण और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।