- राजधानी के मस्जिदों मे किए जा रहे इंतजाम
नवभारत प्रतिनिधि
भोपाल, 31 अगस्त. । राजधानी में कभी परंपरा में रही महिलाओं की मस्जिद में जाकर नमाज अदा करने की व्यवस्था एक बार फिर शुरू होने जा रही है। फिलहाल यह व्यवस्था जुमा की नमाज से हो रही है। भविष्य में इसको बाकी दिनों और अन्य समय के लिए भी शुरू किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक इस शुक्रवार को होने वाली जुमा की नमाज शहर की महिलाओं के लिए खास होगी। ईदगाह क्षेत्र स्थित मस्जिद नजमुल में होने वाली जुमा की नमाज में महिलाओं के लिए भी नमाज अदायगी के खास इंतजाम किए गए हैं। मस्जिद की प्रबंधन कमेटी से जुड़े लोगों का कहना है कि यहां नमाज पढ़ने आने वाली महिलाओं के लिए पर्दे के इंतजाम के साथ अलग फ्लोर पर इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इनके वुजू आदि के इंतजाम भी अलग से किए गए हैं। गौरतलब है कि मस्जिद नजमुल में जुमा की नमाज का खुतबा दोपहर एक बजे शुरू होता है। यहां आने वाली महिलाएं एक अलग फ्लोर पर खुतबा भी सुन पाएंगी। साथ ही ईमाम द्वारा पढ़ाई जाने वाली नमाज में जमात के साथ शरीक हो सकेंगी।
बेगम काल में थे इंतजाम
रियासत भोपाल की विरासत महिला शासकों के हाथों में रही है। इसके चलते शहर में मौजूद सैंकड़ों मस्जिदों में से अधिकांश के नाम महिलाओं के नाम पर हैं। इनमें मस्जिद कुलसुम बिया, मस्जिद मांजी साहिबा, मस्जिद नन्हीं बिया जैसी कई मस्जिदें शामिल हैं। जानकार कहते हैं कि शहर की इन मस्जिदों में से अधिकांश में महिलाओं की नमाज के लिए अलग से इंतजाम किए गए थे। बेगमों के शासनकाल तक यहां महिलाओं का मस्जिदों में नमाज पढ़ने जाने का रिवाज आम हुआ करता था।
कुछ मस्जिदों मे है व्यवस्था
एशिया की सबसे बड़ी कही जाने वाली ताजुल मसाजिद में लंबे अरसे से महिलाओं के लिए अलग से नमाज पढ़ने के इंतजाम हैं। यहां महिलाओं के अलग से वॉशरूम, वुजुखाने और नमाज के लिए जगह चिन्हित है। इधर राजधानी के कमर्शियल इलाके एमपी नगर में प्रेस कॉम्प्लेक्स की मस्जिद रब्बानी का रिनोवेशन हाल में ही किया गया है। यहां भी महिलाओं के लिए नमाज पढ़ने के अलग इंतजाम किए गए हैं। यहां आने वाली महिलाओं के लिए आरामगाह, लाइब्रेरी, बॉथरूम और नमाज के माकूल इंतजाम भी किए गए हैं।
पुराने मुस्लिम काल में होती थी नमाज़
राजधानी की ईदगाह को प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की सबसे बड़ी ईदगाह कहा जा सकता है। यहां बेगम शासनकाल के महिलाओं के इंतजाम अब भी दिखाई देते हैं। इसके अलावा मोती मस्जिद, जामा मस्जिद, कुलसुम बिया जैसी कई पुरानी मस्जिदों में अब भी पुरानी व्यवस्थाएं दिखाई देती हैं। लेकिन पिछले लंबे अरसे से यहां महिलाओं की नमाज अदायगी की व्यवस्था बंद जैसी ही है।
मुस्लिम बहुल शहर में मौजूद बाजारों के आसपास बड़ी संख्या में मस्जिदें मौजूद हैं। चौक बाजार, इब्राहिमपुरा, नदीम रोड़ जैसे बाजारों में महिलाओं की आवाजाही रहती है। लेकिन नमाज के लिए इंतजाम न होने से उनकी नमाज समय पर अदा नहीं हो पाती है। शहर के बाजारों के आसपास की इन मस्जिदों में महिलाओं की नमाज की पाबंदी हटाई जाए तो इससे बेहतर हालात बन सकते हैं।
– मुनव्वर अली खान
अध्यक्ष, मुस्लिम महासभा