ग्वालियर: वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद रामलखन सिंह ने लम्बे अरसे के बाद भाजपा का दामन थामा है। पूर्व सांसद का भाजपा में आने से कई राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। एक बार फिर से पूर्व सांसद के समर्थकों में उत्साह दिख रहा है। पूर्व सांसद के इस कदम से उनके बेटे भिंड के पूर्व विधायक संजीव सिंह की राजनीति में फिर से निखार आने की उम्मीद लगाई जा रही है। अब आने वाला समय बतायेगा कि पिता के राजनीतिक कदम से बेटे की राजनीतिक विरासत में कितना विस्तार होगा।गौरतलब है कि भिण्ड-दतिया लोकसभा से चार बार सांसद डॉ. रामलखन सिंह रहें है।
उनकी भिण्ड-दतिया जिले की 8 विधानसभा में कार्यकर्त्ताओं व आमजनता के बीच सीधी पकड़ है। लोकसभा चुनाव में भाजपा उनके राजनीतिक अनुभव का सीधे तौर पर लाभ लेना चाहती है। उनके भाजपा में आने से प्रत्याशी संध्याराय को सीधा फायदा मिलने की बात भी कहीं जा रही है। वह लगभग 10 वर्षो बाद भाजपा में सक्रिय तौर पर शामिल हुए है।संजीव सिंह ने वर्ष 2018 में बसपा से विधानसभा का चुनाव लड़ा तब भी पूर्व सांसद रामलखन सिंह ने बेटे के लिए कई सभाएं ली। प्रचार किया था। इसके बाद प्रदेश की राजनीति कें बदलाव हुआ। कांग्रेस की 18 महीने की सरकार गिरने के बाद पुन: शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने।
इस के कुछ महीने बाद तत्कालीन विधायक संजीव सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। बेटे के दल बदलने पर बसपा ने पिता रामलखन सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था।जब संजीव सिंह का बीजेपी ने वर्ष 2023 के चुनाव में टिकट काटा तो संजीव सिंह फिर बसपा में शामिल हुए। हालांकि संजीव सिंह को इस बार हार मिली। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव के वरिष्ठ नेतृत्व ने डॉ रामलखन सिंह के राजनीतिक अनुभव पर नजर टिका रखी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने फिर से उन्हें अपना साथी बना लिया। अब बारी संजीव सिंह की है उनकी राजनीति के विस्तार की ओर उनके समर्थक देख रहे हैं।