भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने में अग्रणी भूमिका निभायेगा मप्र : शिक्षा मंत्री 

रादुविवि में वैदिक गणित पर त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

 

जबलपुर। मैकाले की शिक्षा पद्धति को भारत में अपनाने से पूर्व भारतीय पाठशालाओं में गणित विषय को वैदिक गणित रीति से पढ़ाया जाता था। ये विधियां वैदिक काल से ही विकसित होती रही हैं। गणित केवल हमारे पूर्वजों की ही देन है। शून्य और अनंत की बातें तो हमारे प्राचीन ग्रंथों में ही प्रमाणित है, जो हमारे लिए गर्व का विषय है। उसे मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पाठ्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है। हम इस बात को लेकर गौरवान्धित हैं कि भारतीय ज्ञान और परम्परा को सभी पाठ्यक्रमों में शामिल करने की अग्रणी भूमिका हमारा प्रदेश ही निभाएगा। उपरोक्त उद्‌गार उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने शुक्रवार को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के पं कुजीलाल दुबे प्रेक्षागृह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की संगठन व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक गणित विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि गणित एक जीवन कौशल है, हमें अपने जीवन के लगभग हर पहलू में इस कौशल का उपयोग करने की आवश्यकता है। न्यास के प्रतिनिधि श्रीराम चौथाई वाले ने कहा कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों का युग स्वर्ण युग काल के रूप में भी जाना जाता था। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद केंट विधायक अशोक रोहाणी ने कहा कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को ‘ए’ ग्रेड मिलने से विश्वविद्यालय की पुरानी साख और कीर्ति फिर वापस आई है, जो सभी के लिए गौरव की बात है। विशिष्ट अतिथि विधायक डॉ. अभिलाष पाण्डेय ने कहा कि अतीत का गौरव, वर्तमान की चिंता और भविष्य की सोच अत्यंत आवश्यक है।

 

एमओयू हुआ हस्ताक्षरित

वैदिक गणित विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य एक एमओयू भी हस्ताक्षरित किया गया। कुलपति प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि यूजीसी बैंक में समी के सहयोग से हमने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय ने ‘ए’ ग्रेड हासिल कर जहाँ नया कीर्तिमान स्थापित किया है, वहीं दूसरी ओर हमारे विश्वविद्यालय का यशोगान पूरे देश में हो रहा है। विश्वविद्यालय ने समय पर परीक्षा और समय पर परिणाम के ध्येय वाक्य के साथ जो नवाचार प्रारंभ किया है उसी की श्रृंखला में नया पायदान यह एमओयू है। हमारे शैक्षिक ढांचे में वैदिक गणित को शामिल करना, हमारे शिक्षकों के लिए समग्र शिक्षण अनुभव प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इस एमओयू से हम गणितीय दक्षता और आत्मविश्वास में सुधार करने, शैक्षिक उत्कृष्टता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 

ये रहे उपस्थित

 

इस दौरान आयोजन संयोजक प्रो. राकेश बाजपेयी, कुलसचिव डॉ. दीपेश मिश्रा, न्यास के प्रांताध्यक्ष डॉ. अजय तियारी, कुलाधिपति, स्वामी विवेकानंद विवि सागर, न्यास की प्रांत संरक्षक डॉ. नीलिमा गुप्ता, कुलगुरू, डॉ. हरिसिंह गौर विवि, सागर डॉ. रामकुमार रजक, विवि छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. विवेक मिश्रा, प्रो. एस. एस. संधु, प्रो. धीरेन्द्र पाठक, प्रो. एन. जी. पेन्डसे, सास्कृतिक प्रभारी डॉ. आर. के. गुप्ता, सहायक कुलसचिव अभयकांत मिश्रा, सुनीता देवडी, मिनाल गुप्ता एवं ज्योति खराड़ी, डॉ. शोभाराम मेहरा, डॉ. अजय मिश्रा, डॉ. देवांशु गौतम, डॉ. शैलेष प्रसाद, डॉ. मोहम्मद जावेद, डॉ. रिकेश भट्ट सहित अन्य विद्वतजन एवं प्रतिभागीगण मौजूद रहे।

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