बुरहानपुर में गुटबाजी चरम पर, पार्टियां परेशान

मालवा- निमाड़ की डायरी
संजय व्यास

बुरहानपुर जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी में व्याप्त गुटबाजी से परेशान है. भाजपा में वर्षों से विधायक व सांसद खेमों में कार्यकर्ता बंटे हुए हैं. दो दशक से पार्टी में छाईं पूर्व मंत्री व विधायक अर्चना चिटनीस की स्थानीय सांसद से हमेशा खटपट रही. अभी भी वर्तमान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और अर्चना चिटनीस क्षेत्र विकास के मामले में अपनी ढपली अपना राग पर चल रहे हैं. दोनों को मिलकर विकास की ठोस योजनाएं बनाकर क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढऩा चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.दोनों के समर्थकों के बीच तकरार जब-तब दिखाई दे जाती है.

पार्टी एवम सरकार के सभी कार्यक्रम, महापुरुषों की जयंती सहित राष्ट्रीय पर्व पर भी आयोजन को लेकर एकजुटता नजर नहीं आती. स्वतंत्रता दिवस पर भी यह सामने आया. कार्यक्रम की सफलता की बजाए एक दूसरे की कमी ढूंढते रहे. उधर कांग्रेस में भी गुटबाजी चरम पर है. पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह ठाकुर और अरुण यादव गुटों के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय उपजा मनमुटाव आज भी कायम है. उल्लेखनीय है कि भारत जोड़ो यात्रा कि तैयारियों का प्रभार अरुण यादव के पास था, एन मौके पर यह दायित्व उनसे छीनकर सुरेंद्र सिंह ठाकुर को दे दिया गया था. दोनों गुटों में खिन्नता बनी हुई है. बड़े नेताओं के इशारों पर गुटीय नेताओ पर समर्थक आरोपों के साथ तीखे शब्दों से सोशल मीडिया पर छिछालेदारी करते रहते हैं.

अधिकारी उठा रहे फायदा

जनप्रतिनिधियों की गुटबाजी का खामियाजा बुरहानपुर की जनता भुगत रही है. आपसी खींचतान में इन नेताओं का स्थानीय सरकार की ओर ध्यान नहीं है. इस कमजोरी का फायदा अधिकारी उठा रहे हैं. कोई अंकुश न होने से अधिकारी मनमर्जी से स्थानीय सरकार चला रहे हैं. जल आवर्धन और सीवेज के करोड़ों के काम अटके हुए हैं. नेताओं की रस्साकशी शहर के विकास में अवरोध बन कर सामने खड़ी है. खुद लाचार जनता कार्योंं के पूरा करवाने के लिए अधिकारियों से मिन्नते कर रही है.

कार्यकर्ता मोहरा बनकर रह गया

सर्वाधिक गुटबाजी नेपानगर विधानसभा में वर्तमान विधायक मंजू दादू, पूर्व विधायक सुमित्रा कास्डेकर के बीच देखी जा रही है. कार्यकर्ता मोहरा बनकर रह गया है. यहां कार्यकर्ताओं की भी सुनवाई नहीं हो रही, जिससे विधायक मंजू दादू को लेकर भारी नाराजगी सामने आ रही हैं. क्षेत्र के आम लोग उनके द्वारा मोबाइल नहीं उठाने से नाराज चल रहें हैं, यही नहीं कार्यकर्ता सबसे ज्यादा रुष्ठ हैं, उनका कहना है की क्या भाजपा के लिए काम करके कोई गलती कर दी. कहा जाता है की तुम पूर्व विधायक से जुड़े हो उनके पास जाओ. विधायक मंजू दादू के इसी व्यवहार के कारण लगभग 4-5 कार्यकाल से भाजपा के कब्जे में रहा खकनार जनपद अध्यक्ष पद जो उनकी बहन पूजा दादू के निधन से खाली हुआ था, वहां सिम्पेथी भी नहीं मिल पाई और जनपद सदस्यों का बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष बना लिया. ऐसी चर्चाएं नेपा क्षेत्र में जमकर है कि नेपानगर नगर परिषद में भी वर्तमान विधायक समर्थकों ने जमकर बगावत कर पार्टी को नुकसान पहुंचाया और कांग्रेस की अध्यक्ष भाजपा विधायक समर्थकों के सहयोग से बनी थी.

 

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