फिर ना हो महाकाल मंदिर जैसा हादसा

धुलेंडी के अवसर पर उज्?जैन के महाकाल मंदिर में भस्मारती के दौरान आग लग गई.इसकी चपेट में पुजारी, पंडे और सेवकों सहित कुल 14 लोग झुलस गए. घटना के दौरान देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु मंदिर में मौजूद थे. कुछ पुजारी गंभीर घायल बताए गए हैं. बाकी लोगों की हालत सामान्?य बताई गई है. आधा दर्जन से अधिक पुजारियों को उपचार के लिए इंदौर रेफर किया गया था. हादसे के जांच के आदेश दे दी गए हैं. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मौके पर पहुंचकर जानकारी हासिल की और उन्होंने इंदौर जाकर घायल पुजारियों से भी चर्चा की है. सभी घायलों को शासकीय खर्चे पर इलाज मिलेगा. इसके अलावा घायलों को एक लाख रुपए की सहायता राशि भी मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी हादसे के संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा की है. जाहिर है हादसे के बाद शासन और प्रशासन द्वारा जो जो किया जा सकता है, वह किया जा रहा है. सवाल यह है कि लापरवाही कैसे और क्यों हुई ? इसमें कोई शक नहीं कि महाकाल मंदिर में कई तरह के दलाल और ऐसे पुजारी मौजूद हैं जो लगातार भ्रष्ट तरीकों से श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश कराते हैं. जाहिर है ऐसे श्रद्धालुओं की सुरक्षा जांच मुकम्मल तरीके से नहीं की जाती. महाकाल मंदिर में वीआईपी कल्चर भी बहुत ही भद्दे ढंग से लागू है. महाकाल लोक बन जाने के बाद से लगभग रोज एक लाख श्रद्धालु प्रतिदिन आ रहे हैं. ऐसे में मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी बहुत अधिक बढ़ जाती है. हादसे से जाहिर है कि जिम्मेदार लोगों ने सुरक्षा के मामले में घोर लापरवाही बरती है. हालांकि जैसा होता है हादसे के बाद प्रशासन सतर्क होता है और कार्रवाई में तेजी लाई जाती है.वैसा ही महाकाल मंदिर के मामले में हो रहा है.अब मंदिर प्रशासन कई कदम उठाने जा रहा है.समिति इस घटना के बाद व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन का प्लान तैयार कर रही है.नई व्यवस्था को जल्द लागू किया जाएगा. दावा किया जा रहा है कि समिति भस्म आरती व वीआइपी दर्शन में कोटा सिस्टम भी समाप्त करेगी. दरअसल,होली पर गर्भगृह में हुए अग्निकांड में की जा रही पड़ताल में जो प्रारंभिक खामियां सामने आई है, उसमें मंदिर समिति द्वारा तय किए गए निर्धारित नियमों का पालन नहीं करना, गर्भगृह में निर्धारित संख्या से अधिक लोगों की मौजूदगी तथा नंदी हाल में अत्यधिक रंगों का उपयोग करना सामने आया है. महाकाल मंदिर के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपोर्ट कमेटी गठित की थी जिसने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे. होली के दिन हुआ हादसा बताता है कि इन सुझावों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया लगता है. अन्यथा यह हादसा नहीं होता.सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए भगवान को सीमित मात्रा में जल, पंचामृत, अबीर, गुलाल, कुमकुम आदि पूजन सामग्री तथा कम मात्रा में फूल तथा भगवान को छोटी-छोटी फूल माला अर्पित करने का सुझाव दिया था.एक्सपर्ट कमेटी ने गर्भगृह का तापमान नियंत्रित रखने के लिए एक साथ कम संख्या में लोगों के गर्भगृह में मौजूद रहने का भी सुझाव दिया था.एक्सपर्ट कमेटी ने भगवान महाकाल का आरओ जल से अभिषेक करने तथा कैमिकल रहित पूजन सामग्री अर्पित करने का सुझाव दिया था. जाहिर है इन सुझावों पर अमल नहीं किया जा रहा है.दरअसल, पुजारी, पुरोहित होली रंगपंचमी तथा प्रमुख पर्वों पर गाइड लाइन का पालन नहीं करते.भगवान को भारी मात्रा में गुलाल, सैकड़ों लीटर कलर तथा क्विंटलों से फूल अर्पित कर रहे हैं.24 मार्च को होली पर तडक़े भस्म आरती में भगवान को 51 क्विंटल फूल अर्पित किए गए थे.भगवान को भोग अर्पित करने में भी बिचौलिए सक्रिय हैं. शिव नवरात्र के नौ दिन बाहर के दानदाताओं ने बिचौलियों के माध्यम से भगवान को नौ दिन तक क्विंटलों ड्रायफ्रूट का भोग लगाया. मंदिर समिति के पास इसकी रिकार्डिंग भी है. कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि महाकाल मंदिर में एक माफिया सक्रिय है जो सारी व्यवस्थाओं पर भारी है. इस माफिया का समूल नाश किया जाना चाहिए. इस तरह का हादसा फिर से ना हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए. साथ ही लापरवाह अधिकारियों और पुजारियों पर कठोर कार्रवाई भी की जानी चाहिए जिससे भविष्य में कोई ऐसा करने के पहले दस बार विचार करे.

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