विगत 20 वर्ष की तुलना में सबसे कम 0.5 रकबा मूंगफली का इस बार एवं सूरजमुखी का रकबा जीरो

*मक्का का रकबा घटा है तो सोयाबीन का रकबा बड़ा है*

 

बागली-मालवा क्षेत्र की प्रमुख खरीब फसल मूंगफली एवं सूरजमुखी विलुप्तता की कगार पर आ गए हैं। कृषि विस्तार अधिकारी काशीराम चौहान ने बताया कि इस बार क्षेत्र में मूंगफली का रकबा महज 190 हैकटेयर ही रह गया है तथा सूरजमुखी का रकबा नहीं के बराबर जीरो स्थिति में है। जबकि यह विगत 20 वर्ष की तुलना में सबसे न्यूनतम स्थिति मानी जा सकती है।

*सोयाबीन फसल का रकबा फिर बडा*

बागली विकासखंड में कल्टीवेटर उपयोग वाली 74165 है। हेक्टर कृषि भूमि खरीफ फसल में उपयोग में आती है। विगत 10 वर्ष की तुलना में इस वर्ष सोयाबीन का रकबा पिछली बार की तुलना में 2हजार हेक्टेयर बड़ा है। विगत वर्ष सोयाबीन का रकबा 54410 हेक्टर था ।जो अब बढ़कर 56410 हजार हेक्टर का हुआ है। मक्का का रकबा विगत वर्ष की तुलना में 1800 हैकटेयर कम हुआ है। पहले यह रकबा 16910 था । जो अब घटकर 15190 हेक्टेयर भूमि का रह गया है।

*समर्थन मूल्य बढ़ाने के बाद भी मक्का का रकबा घटा चिंताजनक*

इस बार केंद्र शासन ने मक्का की शासकीय खरीदी भाव 2240 रुपए कर दी है। फिर भी मक्का के प्रति किसने की रुचि इस बार नहीं दिखाईदी। सोयाबीन का बीज इस बार सस्ता होने से किसानों का रुझान एक बार फिर सोयाबीन फसल की ओर आया है।

*मूंगफली का रकबा घटा चिंता का कारण*

पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी श्याम सुंदर महाजन ने बताया कि मक्का फसल मेहनत वाली और देरी से पकाने वाली रहती है। इसलिए फिर से सोयाबीन फसल की ओर किसानों का रुझान हुआ है। दूसरा कारण इस बार सोयाबीन बीज भी किसने की पहुंच में था। इसलिए इस बार सोयाबीन का रकबा बढ़ा हुआ आया है।

कभी इस क्षेत्र में मूंगफली फसल की मात्रा बहुत अधिक रहती थी अधिकतर किसान परिवार घर में ही मूंगफली उत्पादन करके घर आपूर्ति इतना मूंगफली तेल उपयोग कर लेते थे लेकिन आसपास कहीं भी तेल निकालने की घाणी नहीं होने के कारण तथा मजदूर नहीं मिलने के कारण इस फसल की ओर से किसानों का रुझान कम हो गया है।

*पहले की तरह मोटे अनाज के लिए सहयोग नहीं मिलता*

सेवानिवृत्ति कृषि विस्तार अधिकारी एवं वर्तमान कृषक सुरेंद्र सिंह उदावत ने बताया कि पहले मक्का फसल ज्वार फसल और लाल तोर फसल के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग उच्च क्वालिटी का बीज वितरण करता था। जिसके चलते क्षेत्रवार किसानों को मोटे अनाज बीज के साथ दलहन बी लाल तुवर उड़द आदी का लाभ मिलता था। किंतु शासन की ऑनलाइन सुविधा यह सब वितरण बंद कर दिया है। इसलिए किसान भी सीधी सीधी एक प्रकार की फसल को ही लगाने में रुचि लेते हैं।

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