बिना जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पहली बार देश की तीन एतिहासिक रथयात्राओं में पन्ना की एतिहासिक रथयात्रा धूमधाम से निकली

सुरेश पाण्डेय पन्ना

:खास बातें:

1. भोपाल में मीटिंग के कारण सांसद एवं सभी विधायक रहे अनुपस्थित।

2. प्रशासनिक उपेक्षा के चलते सड़कों में गड्ढों के बीच निकली यात्रा।

3. गड्ढों में बालू भरने के कारण चंद घण्टों में निकल आये गड्ढे।

 

देश की तीन ऐतिहासिक जगन्नाथ स्वामी की रथयात्राओं में शुमार पन्ना की रथयात्रा पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। लेकिन बुजुर्गो के अनुसार पहली बार ऐसा देखा गया कि इस बार की रथ यात्रा में न तो जिले के सांसद उपस्थित रहे और न ही जिले के विधायक। पता चला है कि भोपाल में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय सांसद व्ही डी शर्मा ने भाजपा प्रदेश कार्य समिति की बैठक आज ही रखी थी। जिसको लेकर पूरे जिले के विधायक भाजपा जिलाध्यक्ष सहित सभी मण्डलों के अध्यक्ष भोपाल मीटिंग में होने के कारण ऐतिहासिक रथयात्रा में नहीं पहुंच सके। जबकि क्षेत्रीय सांसद दूसरी बार चुने गये हैं उन्हें भी आज ही ऐतिहासिक रथयात्रा की जानकारी थी इसके बावजूद क्यों और किन परिस्थितियों के बीच आज ही भोपाल में मीटिंग रखी। इसके पीछे क्या कारण है यह तो क्षेत्रीय सांसद एवं प्रदेशाध्यक्ष श्री शर्मा ही बता सकते हैं हालांकि फोन पर उनसे सम्पर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन मोबाइल बंद होने के कारण उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के बावजूद आज पन्ना की एतिहासिक रथयात्रा धूमधाम के साथ शाम 6.30 बजे निकाली गई। कहा जाता है कि पन्ना का जगन्नाथ स्वामी मंदिर पूरी के बाद विश्व का अद्वितीय मंदिर है ये मंदिर और इसकी महिमा अपरंपार है इस मंदिर का निर्माण महाराजा किशोर सिंह ने 1700 में करवाया था पन्ना के राजा को भगवान ने सपना दिया था कि वे पुरी आकर वो उनकी प्रतिमा लेकर पन्ना जाये और वह के लोगो को कलयुगी दुनिया के अँधेरे से बचाये उसके बाद किशोर सिंह महाराज भगवान् को लेने जाते है और भगवान की मूर्तियों को 2 साल की यात्रा के बाद बड़े पराक्रम से पन्ना लाके विराजमान कराया था। उसके बाद रथयात्रा की शुरुआत होती है जो हर साल जून और जुलाई माह के दरमियान निकाली जाती है ये रथयात्रा पूरी के तर्ज़ पे ही निकाली जाती है और विश्व में इस रथयात्रा का दूसरा स्थान है। इस मंदिर में 26 छोटे छोटे मंदिर भी है जो बहुत ही सिद्धि वाले मंदिर है यहाँ सबकी मन्नतें अटका चढ़ाने से पूरी होती है। परंपरा अनुसार राजपरिवार की ओर से महाराजा छत्रशाल द्वितीय एवं राजकुमारी उपस्थित रहीं उन्होंने पूजा अर्चना की एवं भगवान की रथयात्रा को रवाना किया। कार्यक्रम मे जिला प्रशासन की ओर से पुलिस अधीक्षक पन्ना सांई कृष्णा थोटा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती आरती सिंह, एसडीओपी एपीएस बघेल, तहसीलदार पन्ना, पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे सहित भारी संख्या में श्रृद्धालु गण उपस्थित रहे कलेक्टर पन्ना सुरेश कुमार भी अनुपस्थित रहे इसका कारण पता नहीं चल सका। आज रथयात्रा शुभारंभ के अवसर पर सशस्त्र पुलिस के जवानों द्वारा गॉड ऑफ ऑनर के तहत सलामी दी गई। ओडिशा के जगन्नाथपुरी की तर्ज पर यहां आयोजित होने वाले इस भव्य धार्मिक समारोह में राजशी ठाठ बाट और वैभव की झलक देखने को मिलती है। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी की एक झलक पाने समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रृद्धालु यहां पहुंचते हैं। एक साथ तीन रथ जनकपुर के लिए रवाना हुये सबसे भगवान बलभद्र, फिर महारानी सुभद्रा इसके बाद स्वयं जगत के पालनहार भगवान जगन्नाथ स्वामी का रथ रवाना हुआ। बुजुर्ग लोग बताते हैं कि महाराजा किशोर सिंह को स्वप्न आया कि पन्ना में अटका न चढ़ाया जाये अन्यथा पुरी का महत्व कम हो जायेगा। इसलिये यहां भगवान जगन्नाथ स्वामी को अंकुरित मूंग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। आज भी यहां पर अंकुरित मूंग व मिश्री का प्रसाद चढ़ता है शहर के पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि राजाशाही जमाने में पन्ना की रथयात्रा बडे ही शान शौकत व वैभव के साथ निकलती थी। इस रथयात्रा में सैंकड़ों हांथी, घुडसवार, सेना के जवान, राजे महाराजे व जागीरदार सब शामिल होते थे। रुस्तम गज हांथी की कहानी भी यहां काफी प्रचलित है। बताते हैं कि तत्कालीन महाराज का यह प्रिय हाथी रथयात्रा में अपनी सूड से चांदी का चंवर हिलाते हुये चलता था। हिंदु पंचाग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल माह की द्वितीय तिथि को यहां पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह हर साल रथयात्रा निकलती है। रथयात्रा के दौरान बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ मंदिर से बाहर सैर के लिये निकलते हैं। यह अनूठी रथयात्रा पन्ना से शुरू होकर तीसरे दिन जनकपुर पहुंचती है। तत्कालीन पन्ना नरेशों द्वारा जनकपुर में भी भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। रथयात्रा के जनकपुर पर पहुंचने पर यहां के मंदिर को बडे ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है तथा यहां पर मेला भी लगता है।

जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक उदासीनता के चलते लगातार रथयात्रा का गिरता जा रहा महत्वः- अपने देश की तीन एतिहासिक रथयात्राओं में पन्ना का नाम शुमार होने के बावजूद प्रशासनिक एवं जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते इस एतिहासिक रथयात्रा का महत्व धीरे धीरे कम होता जा रहा है। पन्ना से जनकपुर रोड में जहां विश्राम रथ यात्रा का होता है वहां पर भू माफियाओं ने कब्जा कर लिया। आज पन्ना नगर में जगह जगह गड्ढों में बालू भरवाई गई थी जो रथ निकलने के पूर्व ही बिखर गई। यही हाल मंदिर में लगी जमीन का है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पन्ना के ऐतिहासिक रथयात्रा वाला मार्ग के ऐतिहासिक रथयात्रा को उसका पुराना वैभव वापस दिलाने की दिशा में रूचि ली थी और वे 2003 में पन्ना आकर समारोह में शामिल हुये थे। लेकिन इसके बाद फिर किसी मुख्यमंत्री ने पन्ना की प्राचीन रथयात्रा को वह महत्व नहीं दिया, जिसकी पन्ना नगर के लोग अपेक्षा करते हैं। पन्ना के लोग अपेक्षा करते हैं। पन्ना नगरवासियों का यह मानना है कि समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों की आस्था व धार्मिक महत्ता को देखते हुये पन्ना की ऐतिहासिक व प्राचीन रथयात्रा समारोह को राज्य उत्सव का दर्जा मिलना चाहिये।

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