सीलिंग की भूमि पर आवेदक का  पुन: नाम न दर्ज किये जाने को चुनौती

कलेक्टर के आदेश पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
जबलपुर:सीलिंग अधिनियम समाप्त होने के बाद भी आवेदक का नाम पुन: दर्ज न किये जाने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मामले में रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये है। इसके साथ ही मप्र शासन व जिला कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।यह मामला मुन्ना लाल पटेल की ओर से दायर किया गया है। जिसमें जबलपुर कलेक्टर के उस आदेश को चुनौती दी गई है कि जिसमें कलेक्टर द्वारा सीलिंग अधिनियम के प्रावधानों के तहत सीलिंग अधिनियम के समाप्त होने के उपरांत  आवेदक का नाम दर्ज करने से मना करने का आदेश पारित किया था।

आवेदक की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि नगरी सीलिंग अधिनियम अपील  एक्ट 1999 की धारा 4 के तहत यदि किसी भी न्यायालय में सीलिंग संबंधी प्रकरण विचाराधीन है तो सीलिंग करवाई ंसमाप्त हो जावेगी तथा संबंधित व्यक्ति भूमि वापस पाने का अधिकारी रहेगा। आवेदक की अपील कमिश्नर जबलपुर के समक्ष विचार अधीन थी। जो कि 30 अप्रैल 2000 को रिपील अधिनियम के तहत समाप्त हो गई थी।

इसके उपरांत आवेदक ने सक्षम अधिकारी कलेक्टर जबलपुर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सीलिंग भूमि पर शासन की जगह उसका नाम दर्ज किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया था। उक्त आवेदन कलेक्टर द्वारा नियम व तरीके से यह कहते हुए निरस्त कर दिया की शासन द्वारा कब्जा लिया जा चुका है। अत:  आवेदन आधारहीन है। अधिवक्ता श्री उपाध्याय ने बताया की सीलिंग अधिनियम के धाराओं का पालन नहीं किया गया है। जबकि उक्त भूमि पर शासन ने भौतिक कब्जा नहीं लिया है आज भी आवेदक काबिज है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।

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