कृषि उपज मंडियों की व्यवस्था के प्रति किसानों को विश्वास बरकरार रहे:यादव

भोपाल, 28 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में तुअर के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए। कोदो-कुटकी के रकबे को बढ़ाने से पानी-बिजली का उपयोग संतुलित होगा तथा फसल चक्र में भी सुधार होगा।

डॉ. यादव कृषक हितग्राही मूलक योजनाओं सहित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा कृषि विविधीकरण के लिए किया जा रहे प्रयासों पर मंत्रालय में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों को कोदो-कुटकी की फसल लेने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। फसल चक्र पर ग्रीष्मकालीन फसल लेने के नकारात्मक प्रभाव से भी कृषकों को अवगत कराना जरूरी है। बैठक में किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री ऐदल सिंह कंषाना, मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि उपज मंडियों की व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए वरिष्ठ अधिकारी मंडियों के तौल-काँटे, वित्तीय लेन-देन तथा अन्य व्यवस्था का आकस्मिक निरीक्षण करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों के हितों से कहीं भी खिलवाड़ ना हो और मंडी व्यवस्था के प्रति किसानों का विश्वास बरकरार रहे। कलेक्टर कृषि उपज मंडी के संचालन पर भी निगरानी रखें। कहीं पर भी कृषि उपज मंडी में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित सचिव जिम्मेदार होंगे, उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने वेयरहाउस निर्माण व उपयोग के प्रावधानों में किसानों के हितों को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए।

डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश, जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी और फसलों के विविध पैटर्न के साथ संपन्न है। हमारे किसान भाईयों की अथक मेहनत से प्रदेश कृषि विकास में सर्वोपरि है। हमारा प्रदेश दलहन व तिलहन के क्षेत्र तथा उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। किसानों की आय में वृद्धि करने तथा कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में हम निरंतर प्रयासरत हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अधिक से अधिक सीमांत, लघु कृषकों को लाभ मिले यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जाएं। रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत पौष्टिक श्रीअन्न का उत्पादन बढ़ाने और इसकी पैदावार करने वाले कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि धान एवं गेहूँ के स्थान अन्य लाभकारी फसलें लेने के लिए फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जाए। ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जाए जो सरकारी खरीद पर निर्भर नहीं हों और जिनका दाम बाजार व निर्यात की मांग से जुड़ा हो। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताते हुए प्रदेश के सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को विस्तारित करने संबंधित कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष 2023-24 में 25 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। बीमा दावों का भुगतान भी त्वरित रूप से किया जा रहा है। अटल कृषि ज्योति योजना में 25 लाख 61 हजार, नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना में 9 लाख 21 हजार और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 80 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना में राज्य मिलेट मिशन में वर्ष 2024-25 में कोदो-कुटकी, रागी और ज्वार के 1166 क्विंटल प्रमाणित बीजों का वितरण किया गया। किसानों को कोदो-कुटकी पर एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जा रही है।

फसल विविधीकरण में इथेनॉल उत्पादन, फसल-सब्जी-मसाले आदि के ऑर्गेनिक उत्पादन तथा अश्वगंधा के उत्पादन में सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। किसानों को अनुदान भुगतान का क्रियान्वयन प्री-पेड वाउचर ई-रूपी से किया जा रहा है। किसानों को सस्ते दाम पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में बनाए जाने वाले 5 हजार नए कस्टम हायरिंग सेन्टर्स में से 3 हजार 964 केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा संचालित अन्य हितग्राही योजनाओं में उपलब्धि संबंधी जानकारी भी दी गई।

बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, कृषि उत्पादन आयुक्त एस.एन. मिश्रा, अपर मुख्य सचिव किसान कल्याण अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव वित्त मनीष सिंह और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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