श्रीनगर, 17 जून (वार्ता) प्रशासन ने सोमवार को यहां ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक ईद की नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं दी और हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक को भी ‘घर में नज़रबंद’ कर दिया।
प्रदेश में ईद-उल-अज़हा धार्मिक उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है और पुराने श्रीनगर में जामिया मस्जिद तथा ईदगाह मैदान को छोड़कर सोमवार को सामूहिक नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज़ियों की भीड़ उमड़ी।
मस्जिद के प्रबंध निकाय अंजुमन औकाफ़ जामिया मस्जिद ने एक बयान में कहा कि यह लगातार छठा साल है, जब अधिकारियों ने ईदगाह और जामिया मस्जिद श्रीनगर में ईद की नमाज़ अदा करने की अनुमति नहीं दी है।
उन्होंने कहा कि सोमवार को फज्र (सुबह) की नमाज के बाद पुलिस कर्मियों ने श्रीनगर में जामिया मस्जिद के द्वार बंद कर दिए और औकाफ को सूचित किया कि सुबह 09 बजे निर्धारित ईद की नमाज मस्जिद में नहीं पढ़ने दी जाएगी।
बयान में कहा गया है कि मीरवाइज उमर को एक बार फिर नजरबंद कर दिया गया है। मीरवाइज ने इस कार्रवाई पर रोष जताते हुए कहा , “ अधिकारियों का यह व्यवहार हमारी धार्मिक स्वतंत्रता और हमारे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन है। ईद की सामूहिक नमाज, विशेष रूप से आध्यात्मिक चिंतन और सांप्रदायिक पूजा के महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान आयोजित करने से लगातार इनकार करना न केवल घोर अपमानजनक है, बल्कि लोगों में अलगाव और शिकायत की भावना को बढ़ाता है तथा अधिकारियों द्वारा कश्मीर में सामान्य स्थिति के बड़े दावों की पोल खोलता है, जो चल रहे प्रतिबंधों और कश्मीर की स्थिति को उजागर करता है।”
इस मौके पर सबसे बड़ा समागम श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में हुआ, जहां पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और श्री उमर अब्दुल्ला ने भी नमाज अदा की। कस्बों और गांवों में भी सामूहिक नमाज अदा की गई। अधिकारियों ने पूरी घाटी में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। अधिकारियों ने कहा कि कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आई और नमाज शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। ईद-उल-अजहा का त्योहार पैगंबर इब्राहिम की अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी देने की इच्छा को याद करता है, जब खुदा ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया था। इस त्योहार को बकरीद भी कहा जाता है, क्योंकि इस अवसर पर श्रद्धालु एक जानवर, आमतौर पर एक बकरे की कुर्बानी देते हैं।