कांग्रेस के बड़े नेताओं के गृह क्षेत्र में हारी पार्टी, आलाकमान रिपोर्ट तलब करेगा!

सियासत

मालवा और निमाड़ अंचल के इंदौर संभाग में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के गृह क्षेत्र में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि कांग्रेस के कई प्रत्याशी अपने खुद के मतदान केंद्र पर भी हार गए. इंदौर संभाग में यदि इंदौर लोकसभा क्षेत्र को छोड़ दें तो खंडवा, धार, खरगोन और रतलाम सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. रतलाम संसदीय क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटें रतलाम जिले में आती हैं. यदि खंडवा निर्वाचन क्षेत्र की बात करें तो कांग्रेस के प्रत्याशी नरेंद्र पटेल खुद अपने गृह क्षेत्र बड़वाह में हार गए. अरुण यादव और उनके विधायक भाई सचिन यादव के घर कसरावद में भी कांग्रेस हारी.

इसके अलावा पूर्व विधायक राज नारायण सिंह की विधानसभा मांधाता, पूर्व मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधो की महेश्वरी सीट, रवि जोशी की खरगोन, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की गंधवानी सीट, विधायक भंवर सिंह शेखावत की बदनावर सीट, विधायक प्रताप ग्रेवाल की सरदारपुर सीट, विधायक विक्रांत भूरिया की झाबुआ, विधायक सेना महेश पटेल की जोबट सीट से भी कांग्रेस हारी है. सूत्रों का कहना है कि इन सभी नेताओं से आलाकमान जवाब तलब करेगा. इस मामले में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने भी अपनी रिपोर्ट सीधे एआईसीसी को भेजी है. सूत्रों का कहना है कि प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह भी फीडबैक ले रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस में जब भी सर्जरी होगी तब इस रिपोर्ट का ध्यान रखा जाएगा.

जीतू पटवारी के राऊ विधानसभा क्षेत्र में नोटा नहीं चला
इंदौर संसदीय क्षेत्र के 2397 बूथों में से 206 बूथों पर ही नोटा भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के वोटों से अधिक रहा है. इंदौर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के नोटा को महज 13.99 प्रतिशत मत ही मिले. कांग्रेस के कोर वोटर भी नोटा की मुहिम से पूरी तरह से नहीं जुड़ पाए. इसका नतीजा यह रहा कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र के 206 बूथों पर ही नोटा को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए. इसमें से अधिकांश बूथ मुस्लिम बहुल क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. खास बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की निर्वाचन क्षेत्र राऊ विधानसभा सीट पर लोगों ने नोटा पर ध्यान नहीं दिया. राऊ में सबसे कम नोटा बटन दबे. बहरहाल, 206 में से 150 बूथ ऐसे रहे, जहां पर 90 प्रतिशत से अधिक मत नोटा को गए हैं जबकि अन्य बूथों पर नोटा का मतदान प्रतिशत कम रहा. आठ विधानसभा क्षेत्रों के 2191 बूथों पर भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने सर्वाधिक मत हासिल किए.

इंदौर संसदीय क्षेत्र के दो विधानसभा क्षेत्र ऐसे रहे, जहां पर नोटा किसी भी बूथ पर बाजी नहीं मार सका। विधानसभा क्षेत्र देपालपुर और इंदौर-दो में 599 बूथ आते हैं, लेकिन किसी भी बूथ पर नोटा को अधिक मत नहीं मिले. इंदौर-दो में तो सिर्फ 29 बूथ ऐसे रहे जहां पर नोटा 100 का आंकड़ा पार कर सका. इंदौर-पांच विधानसभा क्षेत्र में नोटा को सर्वाधिक 95 बूथ पर जीत मिली. यह बूथ खजराना और आजाद नगर क्षेत्र के रहे. दूसरे नंबर पर विधानसभा क्षेत्र एक रहा, यहां पर 40 बूथों पर नोटा ने बढ़त बनाई. सांवेर विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ दो बूथों पर ही नोटा जीत सका. दरअसल,इंदौर लोकसभा चुनाव के नाम वापसी की आखिरी तारीख को कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने अपना नामांकन वापस लेकर भाजपा का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने प्रत्याशी के मैदान छोड़ने के बाद नोटा का आव्हान किया और इसके लिए मुहिम भी शुरू की. कांग्रेस के नोटा का बटन दबाने का असर भी मतगणना वाले दिन दिखा और रिकार्ड 218674 मत नोटा को प्राप्त हो गए.

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