
भोपाल: भारत की पूर्व प्रधानमंत्री, लौह–इच्छाशक्ति की प्रतीक और देश की सामूहिक चेतना में रची-बसी इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती पर मंगलवार को राजधानी भोपाल में “सम्यक अभियान – इंदिरा ज्योति” तथा “चलें रामराज्य की ओर” पहल की शुरुआत की गई। इन कार्यक्रमों का शुभारंभ रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे, जिनमें पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव, विधायक आरिफ मसूद, आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, पूर्व सांसद सुरेन्द्र सिंह और राजमणि पटेल, पूर्व मंत्री मुकेश नायक, प्रवक्ता अभिनव बारोलिया, शेरयार खान और वरिष्ठ नेता राजेन्द्र मिश्रा शामिल थे। कार्यक्रम संयोजक भास्कर रोकड़े, सम्यक अभियान के प्रभारी शैलेंद्र श्रीवास्तव, तथा संजय काले, प्रवीण सक्सेना और योगेश यादव भी मौजूद थे।
इसके अलावा प्रवक्ता और पदाधिकारी भूपेन्द्र गुप्ता, रवि सक्सेना, अवनीश बुंदेला, आनंद जात, प्रवीण धौलपुरिया, विक्रम चौधरी और एससी विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप परमार भी कार्यक्रम में शामिल हुए। बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने उत्साह और श्रद्धा के साथ जयंती समारोह में भाग लिया।
“चलें रामराज्य की ओर” अभियान का उद्देश्य, आयोजकों के अनुसार, न्याय, समानता, करुणा और संवेदनशीलता पर आधारित समावेशी शासन की दृष्टि प्रस्तुत करना है। समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक कोर कमेटी का गठन किया गया है, जो किसानों, मजदूरों, युवाओं, महिलाओं और वंचित समुदायों की भागीदारी और उन्नयन पर विशेष जोर देगी।
सम्यक अभियान के अंतर्गत इस पहल का शुभारंभ करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि ऐसे वैचारिक और जनजागरण कार्यक्रम केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में आयोजित किए जाने चाहिए। राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान, उनकी विरासत का संरक्षण और उनके मूल्यों को आगे बढ़ाना, उन्होंने कहा, सबकी साझा जिम्मेदारी है।
इंदिरा गांधी के बचपन का एक प्रसंग याद करते हुए खेड़ा ने बताया कि स्वदेशी आंदोलन के दौरान जब पाँच वर्षीया इंदिरा को पता चला कि उनकी प्रिय गुड़िया विदेशी है, तो उन्होंने देशहित में उसे जला दिया था। यह घटना उनके भीतर समाहित त्याग और राष्ट्रभक्ति की उस भावना को दर्शाती है, जिसने आगे चलकर उनके जीवन और नेतृत्व को दिशा दी। खेड़ा ने कहा कि यही संकल्प आज भी पीढ़ियों को साहस और प्रतिबद्धता के साथ चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देता है।
