नयी दिल्ली, 18 नवंबर (वार्ता) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जल संचयन के बेहतर प्रबंधन पर बल देते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन से जल चक्र प्रभावित हो रहा है जो पूरी मानवजाति के लिए घातक है इसलिए सभी को मिलकर इसमें सुधार के लिए अपना योगदान देना होगा।
श्रीमती मुर्मु ने मंगलवार को यहां विज्ञानभवन में आयोजित छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार -2024 के वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे यहां जल का 80 फीसदी इस्तेमाल कृषि क्षेत्र के लिए होता है इसलिए जल के सक्षम उपयोग पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए भूजल की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन उससे ज्यादा भूजल संचयन के लिए सबकी भागीदारी और इस दिशा में नये कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने जल संरक्षण को जरूरी बताया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही जिला प्रशासन, ग्राम पंचायत तथा नगर निकाय के स्तर पर इस दिशा में प्राथमिकता के साथ काम करने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि अनेक शिक्षण संस्थान, लोगों ने मिलकर और तथा गैर सरकारी संस्थानों ने इस दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। किसानों को जल संचयन और इसके संरक्षण के लिए कम से कम पानी का उपयोग कर अधिक से अधिक उत्पादन के नये नये तरीके अपनाने होंगे। उनका कहना था कि जल संरक्षण में व्यक्ति, परिवार, समाज तथा सरकार सबको मिलकर अपनी भागीदारी निभानी और सक्षम जल प्रबंधन को संभव बनाना है।
राष्ट्रपति ने कहा , ” जल का कुशल उपयोग एक वैश्विक अनिवार्यता है। हमारे देश के लिए जल का कुशल उपयोग और भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि जनसंख्या की तुलना में हमारे जल संसाधन सीमित हैं। प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है।” उन्होंने रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन जल चक्र को प्रभावित कर रहा है और ऐसे में सरकार और जनता को मिलकर पानी की उपलब्धता और जल सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि चक्रीय जल अर्थव्यवस्था प्रणालियों को अपनाकर सभी उद्योग और अन्य हितधारक जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं। उनका कहना था कि जल उपचार और पुनर्चक्रण के साथ-साथ, कई औद्योगिक इकाइयों ने शून्य द्रव निर्वहन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि मिलकर के सभी के ऐसे प्रयास जल प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए उपयोगी हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पानी का उपयोग करते समय सभी को यह याद रखना चाहिए कि हम बहुत मूल्यवान संपत्ति का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि आदिवासी समुदाय पानी सहित सभी प्राकृतिक संसाधनों का बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि जल संसाधनों का सबसे कुशल उपयोग हमारे सभी नागरिकों की जीवनशैली का अभिन्न अंग होना चाहिए। सभी को व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से जल संरक्षण के प्रति निरन्तर सजग रहने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की जन चेतना में जल जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है। उनका कहना था कि जनशक्ति से ही जल का संचयन एवं संरक्षण किया जा सकता है।

