ताइवान के जल क्षेत्र में देखे गये चीनी विमान और नौसेना जहाज

ताइपे, 16 नवंबर (वार्ता) ताइवान के राष्ट्रीय जलक्षेत्र के आसपास रविवार सुबह 6 बजे तक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 30 विमानों और सात नौसेना (पीएलएएन) के जहाजों के साथ-साथ एक चीनी आधिकारिक जहाज को सक्रिय देखा गया।

ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा, “आज सुबह 6 बजे तक ताइवान के आसपास 30 पीएलए विमान, 7 पीएलए के जहाज और 1 आधिकारिक जहाज सक्रिय देखे गए। 17 उड़ानें मध्य रेखा को पार करके ताइवान के उत्तरी, मध्य, दक्षिण-पश्चिमी और पूर्वी एडीआईजेड में प्रवेश कर गईं। हमने स्थिति पर नज़र रखी है और जवाबी कार्रवाई की है।”

ताइवान ने चीन की गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए विमान और नौसैनिक जहाज तैनात किए और चीनी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए तट-आधारित मिसाइल प्रणालियों को सक्रिय किया।

चीन की गतिविधियों में वृद्धि को ताइवान और अमेरिका की हालिया रक्षा खरीद की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि 13 नवंबर को ही अमेरिका ने 33 करोड़ अमेरिकी डॉलर के लड़ाकू विमानों और विमानों के पुर्जों को ताइवान को बेचने पर सहमति जतायी थी। चीन ने इस रक्षा सौदे की तीखी आलोचना की थी।

गौरतलब है कि अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। चीन इसे अपने देश पर संभावित आक्रमण की तैयारी या कम से कम अमेरिका द्वारा उसे नियंत्रित करने की कोशिश करने के रूप में देखता है।

चीन ताइवान ऐतिहासिक रूप से अपना क्षेत्र मानता है और वह लगातार चेतावनी देता रहा है कि वह इस द्वीप को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग कर सकता है।

हाल ही में, 11-12 नवंबर को कनाडा के नियाग्रा में जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक में अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा शासित एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई गई। सम्मेलन में विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान में ‘पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर सहित अन्य क्षेत्रों में बल प्रयोग या जबरदस्ती द्वारा यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध किया।

जी-7 ने दक्षिण चीन सागर में खतरनाक युद्धाभ्यास और सैन्यीकरण तथा बलपूर्वक प्रथाओं के माध्यम से नौवहन और उड़ान को प्रतिबंधित करने के निरंतर प्रयासों का उल्लेख किया। मंत्रियों ने इस बात को फिर से दोहराया कि 12 जुलाई, 2016 का मध्यस्थ न्यायाधिकरण का फैसला ‘एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो सभी पक्षों पर बाध्यकारी है।’

बयान में चीन के चल रहे सैन्य निर्माण और तेज़ी से बढ़ते परमाणु विस्तार पर भी चिंता जताई गई और चीन से अधिक पारदर्शिता के माध्यम से स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का आह्वान किया गया। साथ ही जी-7 के प्रतिनिधियों ने ताइवान की ‘अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सार्थक भागीदारी’ के लिए भी समर्थन व्यक्त किया।

 

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