सांची: कभी नगर के सर्वांगीण विकास की पहचान बताकर करोड़ों रुपये की लागत से शुरू की गई सौर ऊर्जा एवं जलमल परियोजना आज पूरी तरह ठंडे बस्ते में पड़ी नजर आ रही है. नगरवासियों को चौबीसों घंटे जलापूर्ति और सौर ऊर्जा से जगमग गलियों का सपना दिखाया गया था, लेकिन आज न तो सौर ऊर्जा का असर दिखता है और न ही जलमल योजना का कोई ठोस परिणाम.
जानकारी के अनुसार, सांची की ऐतिहासिक और पर्यटन प्रसिद्धि को देखते हुए शासन ने यहां बड़े स्तर पर विकास योजनाएं शुरू की थीं. नागरिकों को घर-घर जलापूर्ति, सीवरलाइन कनेक्शन और सौर ऊर्जा से स्वच्छ नगर का वादा किया गया था. इन योजनाओं के लिए करोड़ों रुपये की राशि मध्यप्रदेश नगरीय सेवाओं के उन्नयन कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की सहायता से स्वीकृत की गई थी.
कार्यान्वयन की जिम्मेदारी एमपी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड को दी गई थी.शुरुआत में काम जोरशोर से चला, सड़कों पर पाइपलाइन बिछाई गईं, पोल लगाए गए और नागरिकों को भरोसा हुआ कि अब 24 घंटे पानी मिलेगा. परंतु धीरे-धीरे परियोजना की रफ्तार थम गई. न सीवरलाइन पूरी हुई और न ही चौबीस घंटे की जलापूर्ति का वादा पूरा हुआ. आज भी नगरवासी नगर परिषद की सीमित आपूर्ति पर निर्भर हैं, जो दिन में मुश्किल से 45 मिनट तक ही पानी देती है.
इसी तरह सौर ऊर्जा परियोजना भी दम तोड़ चुकी है. कभी जिस योजना के दम पर सांची को देश की पहली सोलर सिटी का खिताब मिला था, आज उसके अधिकांश सोलर पोल गायब या क्षतिग्रस्त हैं. जिन नागरिकों ने सौर कनेक्शन के लिए हजारों रुपये खर्च किए, वे अब निराश हैं.नगर में न सौर ऊर्जा बची है, न जलमल योजना का कोई लाभ दिख रहा है. नागरिकों में चर्चा है कि विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च तो हुए, लेकिन नतीजा केवल अंधियारा और प्यास बनकर रह गया. अब लोग सवाल पूछ रहे हैं, जब योजनाएं धरातल पर उतरी ही नहीं, तो करोड़ों की यह राशि आखिर गई कहां
