नयी दिल्ली 03 नवम्बर (वार्ता) नौसेना के डिप्टी चीफ, वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने हिन्द महासागर को सभी देशों की समृद्धि के लिए जरूरी बताते हुए क्षेत्र की समुद्री चुनौतियाें को साझा सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया है और सभी से मिलकर इनका सामना करने को कहा है। वाइस एडमिरल सोबती ने सोमवार को यहां समुद्री सुरक्षा पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए हिन्द महासागर को विश्व व्यापार की जीवन रेखा और रणनीतिक तथा आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण साझा क्षेत्र बताया। उन्होंने कहा ,” हिंद महासागर क्षेत्र, जो ग्लोबल ट्रेड के लिए एक लाइफलाइन है, रणनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह हम सभी के लिए एक साझा जगह है, और मेरा पक्का मानना है कि आज जब हम यहां बैठे हैं, तो हम एक समुद्री परिवार के सदस्यों के तौर पर बैठे हैं। अलग-अलग देशों और सांस्कृतिक बैकग्राउंड के बावजूद यह सभा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ – ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’ की भारतीय फिलॉसफी को दिखाती है। समुद्री क्षेत्र हमारे बीच एक ठोस जुड़ाव देता है, और हमारे सहयोग से ही हम इस साझा जगह की समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।”
उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र दुनिया भर के देशों की समृद्धि के लिए वाकई बहुत ज़रूरी है लेकिन यह कई समुद्री चुनौतियों से घिरा हुआ है। समुद्री डकैती डकैती, अवैध मानव प्रवासन, तस्करी, अवैध मछली पकड़ना, हाइब्रिड समुद्री सुरक्षा खतरे और पर्यावरण का खराब होना हमारी साझा सुरक्षा के लिए हमेशा मौजूद खतरे हैं।”
वाइस एडमिरल ने कहा कि पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों ने दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री ‘चोकपॉइंट्स’ में से एक में तनाव बढ़ा दिया है, जिससे यह पता चलता है कि ‘ग्लोबल शिपिंग लेन’ गैर-सरकारी तत्वों के हमलों के प्रति कितने कमजोर हैं। इन घटनाओं के साथ-साथ अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती के फिर से उभरने से, हमें बदलते समुद्री खतरे के माहौल के अनुकूल होने की ज़रूरत और भी बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि इन रुकावटों के दूरगामी प्रभाव होते हैं। लाल सागर में सुरक्षा चिंताओं के कारण समुद्री यातायात को दूसरे रास्ते से भेजने से मौसम से संबंधित घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप माल का नुकसान और देरी हुई है। यह वैश्विक समुद्री चुनौतियों के परस्पर जुड़ाव को उजागर करता है और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल देता है।
वाइस एडमिरल ने कहा कि इन परिस्थितियों में इस तरह के सुरक्षा सम्मेलन महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उन्होंने कहा, ” हमें न केवल इन चुनौतियों का जवाब देना चाहिए, बल्कि उनके संभावित प्रभावों का अनुमान लगाना और उनके लिए तैयारी भी करनी चाहिए। क्षेत्रीय समुद्री गतिविधियों की गहरी समझ को बढ़ावा देकर और जानकारी साझा करके, हम समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए अपनी सामूहिक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं।”
इस संबंध में उन्होंने नौसेना के गुरूग्राम स्थित आईएफसी आईओर आर केन्द्र के उल्लेखनीय काम की सराहना करते हुए कहा कि 2018 में स्थापना के बाद से इस केन्द्र ने क्षेत्रीय और अन्य भागीदारों के बीच साझा समझ तथा समय पर सूचना आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए सहयोगी समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिए स्पष्ट विज़न का पालन किया है।
