मतगणना तिथि नजदीक आते ही फिर शुरू हुआ हार-जीत का गुणा गणित

० सीधी लोकसभा चुनाव के लिए प्रथम चरण में 19 अप्रैल को हुआ था मतदान, 46 दिन बाद 4 जून को होने वाली मतगणना को लेकर तैयारी में जुटे प्रत्याशी और पार्टी के कार्यकर्ता
नवभारत न्यूज
सीधी 1 जून। लोकसभा चुनाव की मतगणना तिथि के नजदीक आते ही फिर से हार-जीत का गुणा-गणित शुरू हो गया है। सीधी लोकसभा चुनाव के लिये प्रथम चरण में 19 अप्रैल को मतदान हुआ था। 46 दिन बाद 4 जून को होने वाली मतगणना को लेकर तैयारी में प्रत्याशी और पार्टी के कार्यकर्ता जुट गये हैं।
बताते चलें कि संसदीय क्षेत्र सीधी के लिये 19 अप्रैल को मतदान 8 विधानसभा क्षेत्रों में हुआ था। सीधी संसदीय क्षेत्र में सीधी जिले की विधानसभा क्षेत्र चुरहट, सीधी, धौंहनी एवं सिहावल तथा सिंगरौली जिले की विधानसभा क्षेत्र देवसर, चितरंगी एवं सिंगरौली तथा शहडोल जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यौहारी शामिल हैं। यहां मतदाताओं द्वारा लोकसभा चुनाव के लिये मतदान किया गया था। यह दीगर बात है कि मतदान तिथि 19 अप्रैल के एक दिन पहले से वैवाहिक कार्यक्रमों का भरमार था, इस वजह से मतदान करने के लिये काफी संख्या में लोग नहीं पहुंचे। इसके अलावा रबी सीजन के लिये फसलों की कटाई का काम भी काफी जोर-शोर से शुरू था। भीषण गर्मी का असर भी मतदान तिथि पर नजर आया। जिसके चलते सीधी संसदीय क्षेत्र में महज 56.50 प्रतिशत ही वोटिंग हुई। मतदान के बाद से ही कम मतदान होने को लेकर लम्बे समय तक विचार मंथन होता रहा। सत्ता पक्ष भाजपा के लोग जहां कम मतदान पर वैवाहिक कार्यक्रमों की भरमार एवं भीषण गर्मी का असर बता रहे थे तो वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांगे्रस इसको सत्ता पक्ष के विरूद्ध लोगों का असंतोष बताते में जुटी रही। बात में मतदान तिथि लम्बा होने के कारण धीरे-धीरे यह विचार मंथन भी बंद हो गया। लोगों की निगाहें देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे विभिन्न चरणों के चुनाव पर टिक गई।
दरअसल लोकसभा का चुनाव इस बार 7 चरणों में होना था। सीधी संसदीय क्षेत्र का चुनाव प्रथम चरण में ही 19 अप्रैल को हो गया था। इस वजह से यहां के मतदाताओं को मतगणना तिथि 4 जून का इंतजार करने में 46 दिन का समय लगना था। अब यह तिथि नजदीक आते ही फिर से हार-जीत का गुणा-गणित शुरू हो चुका है। सभी प्रत्याशियों, उनके कार्यकर्ता एवं समर्थकों के साथ ही आम लोग भी नतीजों को लेकर कयास लगा रहे हैं। यह अवश्य है कि ज्यादातर लोगों का यहीं मानना है कि सीधी संसदीय क्षेत्र में प्रमुख मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही है।
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कम हुये मतदान से उलझा सियासी समीकरण
सीधी संसदीय क्षेत्र में इस बार 56.50 प्रतिशत मतदान होने पर सियासी समीकरण भी काफी उलझा हुआ है। कम मतदान को लेकर भी सियासी दलों द्वारा अलग-अलग तर्क दिये जा रहे हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि लोकसभा 2019 के चुनाव में 69.45 प्रतिशत मतदान हुआ था और उस दौरान भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली थी। वहीं वर्ष 2014 में 56.99 प्रतिशत मतदान हुआ था और उस दौरान भी भाजपा को जीत मिली थी। इस बार भी कम मतदान होने को लेकर अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं। वैसे लोकसभा चुनाव के दौरान भीषण गर्मी का कहर पूरे देश में जारी रहा। जिसके चलते अधिकांश जगहों में मतदान का प्रतिशत नीचे गिरा है। इस वजह से सीधी संसदीय क्षेत्र में कम हुये मतदान को लेकर अपने-अपने पक्ष में सियासी समीकरण बैठाये जा रहे हैं।

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