नयी दिल्ली, 09 अक्टूबर (वार्ता) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर हाल ही में हुए कफ सिरप त्रासदी मामले में मध्य प्रदेश के एक डॉक्टर की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए उनसे चिकित्सक के खिलाफ सभी कानूनी कार्रवाई तुरंत वापस लेने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने छिंदवाड़ा के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को कथित तौर पर राज्य में बच्चों की मौत का कारण बनी दवा लिखने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
मंत्री को लिखे पत्र में आईएमए ने कहा कि वह राज्य में एक पंजीकृत चिकित्सक (आरएमपी) और बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की गिरफ्तारी कानूनी निरक्षरता की एक मिसाल है और यह एक गलत संदेश देती है।
एसोसिएशन ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले में एक चिकित्सा पेशेवर को गिरफ्तार करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।”
आईएमए ने कहा कि दवाओं में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) जैसे जहरीले मिलावटों की मौजूदगी के लिए डॉक्टरों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
श्री नड्डा से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए आईएमए ने डॉक्टर के खिलाफ सभी कानूनी कार्रवाई तुरंत वापस लेने की मांग की है।
आईएमए ने कहा कि बच्चों की अप्रत्याशित मौतें दवा निर्माता कंपनी द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण उपायों में विफलता का परिणाम थीं।
एसोसिएशन ने दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सुधारों की मांग करते हुए कहा, “बाजार में मिलावटी दवाओं की मौजूदगी औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का उल्लंघन है।” आईएमए ने अपनी सिफारिशों में इस तरह की दवा संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए राज्य स्तर पर औषधि निरीक्षकों की तत्काल भर्ती की मांग की।
संस्था ने यह भी आग्रह किया कि प्रोपिलीन ग्लाइकॉल, ग्लिसरीन और सॉर्बिटोल जैसे दवा के प्रत्येक बैच का अनिवार्य रूप से परीक्षण किया जाए। इसने दवाओं को वापस मंगाने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) अपनाने की भी माँग की।
प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए आईएमए ने भारतीय फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम (पीवीपीआई) को मज़बूत करने, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों (क्यूएमएस) का ऑडिट करने और गुणवत्ता संबंधी विफलताओं में शामिल सभी संस्थाओं का निरीक्षण करने की सिफ़ारिश की है।
