नयी दिल्ली, 28 मई (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इंडिया समूह के आपसी द्वंद और उनकी वोट बैंक की राजनीति पर प्रहार करते हुए मंगलवार को कहा कि चुनाव के अंतिम चरण आते-आते पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक यह ‘घमंडिया गठबंधन’ पूरी तरह से ध्वस्त होता दिख रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने यहां पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। डॉ. त्रिवेदी ने इंडिया समूह के आपसी द्वंद और उनकी वोट बैंक की राजनीति पर हमला बोला और कहा कि इंडिया समूह के नेता अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए संविधान बदलने की तैयारी कर रहे हैं।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 का जब आगाज हुआ, तो एक गठबंधन तिरोहित हो गया, जिसका नाम था संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) है। अब जिन जिन राज्यों के लोकसभा चुनाव अपने अंजाम पर पहुँच रहे हैं, उसके साथ साथ इंडिया समूह भी अपनी अंतिम तिलांजलि को ओर बढ़ रहा है। पंजाब में इंडिया समूह एक-दूसरे से लड़ रहे हैं, हिमाचल प्रदेश में इंडिया समूह है ही नहीं, यहाँ भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, उत्तर प्रदेश में मुकाबला सिर्फ भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच है, क्योंकि कांग्रेस वहां किसी भी निर्णायक स्थिति में नहीं है। बिहार में इंडिया समूह के जो मुख्य सूत्रधार थे, वे राष्ट्र की मुख्यधारा में पहले से शामिल हो गए थे, जबकि पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस और ममता बनर्जी एक दूसरे के खिलाफ कमर कसे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि चुनाव के अंतिम चरण आते-आते पंजाब से बंगाल तक इंडिया समूह पूरी तरह से ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है।
भाजपा प्रवक्ता ने हाल के एक वीडियो का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार में राहुल गांधी, मीसा भारती और तेजस्वी यादव मिलकर बिहार और उत्तर प्रदेश में चुनावी परिणाम का अनुमान लगा रहे थे। ये तीनों लोग जो एक समय ‘डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ़ लिगेसी’ की चर्चा करते थे, हकीकत यही है कि इन तीनों ने अपनी पार्टी का “डिस्ट्रक्शन ऑफ लिगेसी” ही किया है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 404 सीटें जीतकर आए थे, जबकि श्री राहुल गांधी 44 सीटों पर सिमट गए, उत्तर प्रदेश में पहले 85 सीटें हुआ करती थीं और राजीव गांधी ने इनमें 84 जीती थी, एक सिर्फ बागपत की सीट हारी थी, लेकिन श्री राहुल गांधी के समय 2019 में रायबरेली की केवल एक सीट जीती है। मीसा भारती अपना चुनाव स्वयं हारी, वहीं लालू यादव और राबड़ी देवी तीन बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तेजस्वी यादव सरकार में एक-डेढ़ साल भी पूरा नहीं कर पाए। इंडिया समूह के नेताओं की स्वयं की स्थिति उनके अपने कर्मों से ही स्पष्ट हो जाती है। इनके गठबंधन की ही साथी, सुश्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह एक जून को होने वाली इंडिया समूह की बैठक में शामिल नहीं होंगी। इससे यह संकेत मिलता है कि यह समूचा गठबंधन अपने विध्वंस की ओर बढ़ रहा है।
भाजपा सांसद ने कहा कि दूसरी ओर, पंजाब में आम आदमी पार्टी के एक मंत्री बलकार सिंह का एक आपत्तिजनक वीडियो आया है, जिसमें वह एक महिला के साथ आपत्तिजनक हरकत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह वही आम आदमी पार्टी है, जो दिल्ली में अपनी महिला सांसद के साथ मुख्यमंत्री आवास में दुर्व्यवहार करती है और उसके बाद निर्लज्जता के साथ उनका चरित्र हनन करती है। आप सरकार का मंत्री पंजाब में आपत्तिजनक कृत्य करते हुए दिखाई देता है, लेकिन इंडिया समूह इस कुकृत्य पर मौन है, यहाँ तक कि अब तक उस पर कोई कार्रवाई भी अमल में नहीं लाई गई। पंजाब के लोग इस पूरे विषय को ध्यान में रखते हुए संवेदना और प्रबलता के साथ इसका सही उत्तर देंगे।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने साक्षात्कार और उद्बोधन में कई बार कहा है कि पंजाब में आई सरकार अर्बन नक्सल मानसिकता वाली सरकार है। इसीलिए पंजाब में आप सरकार बनने के बाद से राज्य की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। सीएमआई की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान सरकार के कार्यकाल के प्रथम वर्ष में पंजाब में निवेश 85 फीसदी तक कम हो गया है। वर्ष 2022 तक पंजाब में 23 हजार 655 करोड़ रुपए का निवेश था, वह घटकर तीन हजार 492 करोड़ रुपए पर पहुँच गया है। यह दर्शाता है कि उत्तर भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक पंजाब में निवेश, उद्योग और उद्यमिता में भारी गिरावट आई है। यह दर्शाता है कि आप के शासनकाल में पंजाब राज्य की किस प्रकार दुर्गति हुई है। साथ ही, इंडिया समूह की किस प्रकार की गति और दुर्गति हो रही, देश की जनता इनके प्रति केवल संवेदना ही व्यक्त कर सकती है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में संवैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करते हुए जिस प्रकार से मुस्लिम आरक्षण लागू किया गया, उस पर उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से टिप्पणी की है। यह लोग संविधान बदलने की बातें करते हैं, मगर स्वयं इनका मनोभाव क्या है, यह समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बयान से पता चल सकता है। श्री यादव ने कहा है कि मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए वह संविधान संशोधन के पक्ष में हैं, अर्थात जो प्रधानमंत्री कह रहे थे, वह इन विपक्षी नेताओं का उद्देश्य है और ये बात ये लोग पहले लिख भी चुके हैं, कह भी चुके है और कर भी चुके हैं। सपा नेता एसटी हसन भी कह चुके हैं कि संविधान में संशोधन करके विशेष वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है। यह स्पष्ट करता है कि इंडिया समूह के दल संविधान निर्माताओं का भाव, उच्चतम न्यायालय का भाव और संविधान के मूल भाव को वोटबैंक के तराजू पर तौलकर, अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को रौंद कर अपनी वोटबैंक की राजनीति करना चाहते हैं। इसमें किसी प्रकार का कोई किन्तु-परंतु नहीं है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस के 2009 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र, समाजवादी पार्टी के 2012 विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा लिया गया निर्णय, हाल ही में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा लिया गया फैसला और अखिलेश यादव का हाल का बयान- ये सब इनकी मंशा को उजागर करता है। यह बात बहुत स्पष्ट है कि अपनी अवश्यम्भावी पराजय को देखकर, इंडिया समूह का अंतर्विरोध पूरी तरह सामने आ रहा है। जब स्पष्ट है कि पंजाब और बंगाल में इंडिया समूह के दल आपस में लड़ रहे हैं, दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में प्यार जबकि पंजाब में एक दूसरे से जूतम-पैजार है, तो इसका अर्थ यही है कि इन्हें वोट करना एक प्रकार से अपने वोट को व्यर्थ करने के समान है।
उन्होंने कहा कि अंतिम चरण आते-आते देश की जनता ने यह सारी बातें देख ली हैं और श्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और भाजपा बहुत शानदार तरीके से 400 पार के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। देश की जनता निर्णायक रूप से और पूर्ण भावना और समर्थन के साथ भाजपा और राजग के साथ खड़ी है। ‘राहुल-इंडी और घमंडी, सबका संकट एक है, आएगा तो मोदी ही, चूंकि नीयत नेक है।’