नयी दिल्ली, 05 सितम्बर (वार्ता) ‘रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारी मुनाफे पर उसे दूसरे देशों को बेचने’ के अमेरिका के आरोपों के बीच एक रिपोर्ट ने इस दावे का खंडन किया है और कहा है कि यदि भारत रूस के कच्चा तेल खरीदना बंद कर दे तो दुनिया में महंगाई बेतहाशा बढ़ जायेगी।
वैश्विक ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए और अमेरिका निवेश बैंकिंग कंपनी जेफरीज ने अपने विश्लेषण में बताया है कि भारत को रूसी तेल से होने वाला वास्तविक लाभ बेहद सीमित है और यह लगातार घटता जा रहा है। जेफरीज की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी तेल से भारतीय कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को सालाना करीब 50 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लाभ मिलता है जो उसके परिचालन लाभ का महज 2.1 प्रतिशत है।
उल्लेखनीय है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी मौजूदा केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने रूस से मिलने वाले कच्चा तेल आयात का लाभ आम लोगों को देने की बजाय रिलायंस इंडस्ट्रीज को इससे कमाई करने की छूट दे रखी है।
इससे पहले, सीएलएसए ने 28 अगस्त को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट “रूसी तेल आयात – वास्तविक गुणा-भाग” में कहा था कि रूसी कच्चे तेल पर कीमत में लाभ लगातार कम होती जा रही है। वित्त वर्ष 2024 में यह औसतन 8.5 डॉलर प्रति बैरल थी, जो 2025 में घटकर तीन से पांच डॉलर पर आ गयी। हाल के महीनों में यह सिर्फ 1.5 डॉलर प्रति बैरल तक रह गयी है। इसके साथ ही परिवहन, बीमा और माल ढुलाई जैसी अतिरिक्त लागतें इस छूट का बड़ा हिस्सा खत्म कर देती हैं जिससे भारत को रूसी तेल से होने वाला वार्षिक शुद्ध लाभ अब घटकर केवल एक अरब डॉलर रह गया है।
पश्चिमी मीडिया में पहले अनुमान लगाया जाता था कि भारत को रूस से 10 से 25 अरब डॉलर प्रति बैरल कम कीमत पर कच्चा तेल मिल रहा है। लेकिन सीएलएसए का कहना है कि असल लाभ भारत की जीडीपी का केवल 0.06 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत रूस से कच्चे तेल का आयात बंद कर दे तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा। फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से कम है।
