बेंगलुरू /नयी दिल्ली (वार्ता) केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि किसानों के हित को सर्वोपरि रखते हुए उनकी आय बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग का मॉडल बनाया जा रहा है।
श्री चौहान ने आज बेंगलुरू में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थानों का दौरा कर समीक्षा बैठक ली। इस मौके पर उन्होंने किसानों, पशुपालकों, स्टार्टअप चलाने वाले उद्यमियों, वैज्ञानिकों और अन्य हितधारकों से सीधा संवाद किया। उन्होंने आईसीएआर के राष्ट्रीय पशुरोग जानपदिक एवं सूचना विज्ञान संस्थान की गतिविधियों की भी जानकारी ली।
उन्होंने कहा , “किसानों, पशुपालकों की जिंदगी आसान बनाना और आय बढ़ाना है तो केवल खेत से या फूड ग्रेन, व्हीट, राइज़, शुगरकेन, एक-दो क्रॉप से काम नहीं चलेगा, हमें इंटीग्रेटेड फॉर्मिग करना पड़ेगी। हम न केवल फूड ग्रेन पैदा करें, हम राइस भी पैदा करें। यहां दालें होती हैं, तुअर, अरहर, हम पल्सेस, ऑयल सीड्स पैदा करें, साथ-साथ फूड वेजिटेबल, फूलों, फलों, सब्जियों, औषधि की खेती करें और पशुपालन पर भी ध्यान दें। पशुपालन में सबसे बड़ी दिक्कत आती है बीमारियों की, अब इस संकट से हमें फार्मर्स को बचाना पड़ेगा और इसलिए जरूरी है कि समय रहते बीमारियों का पता लग जाए।” उन्होंने कहा कि संस्थान के प्रयत्नों से और भारत सरकार के इनिशिएटिव से जो वैक्सीनेशन का काम हुआ है उसने खुरपका, मुंहपका जैसी बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रित कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो का भी दौरा किया और उसके कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने वैज्ञानिकों, छात्रों, कर्मचारियों, किसानों व उद्यमियों से चर्चा करते हुए जैविक नियंत्रण उपायों के माध्यम से कीटों के स्थायी प्रबंधन में संस्थान के योगदान की सराहना की। उन्होंने किसान-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के त्वरित विकास और उन्हें कृषक समुदाय, विशेष रूप से छोटे किसानों तक पहुंचाने के प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
श्री चौहान ने किसानों के खेत में जाकर नारियल, पपीता, केला और अदरक की मिश्रित खेती की जानकारी भी ली। श्रीराम नामक किसान ने अपने खेत में अवलोकन के दौरान उन्हें बताया कि उसने केले की विशिष्ट किस्म ‘नंजनगुड रसाबले’ लगाई है, जो न केवल स्वादिष्ट है बल्कि कम शुगर कंटेंट के कारण डायबिटीज के मरीज भी इसे खा सकते हैं। खेतों का अवलोकन करने के बाद उन्होंने कहा , “पिछले कुछ समय से केले की यह वैरायटी वायरस से जूझ रही है, इसीलिए हमने तय किया है कि यहां कृषि वैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भेजी जाएगी ताकि केले की यह विशिष्ट किस्म सुरक्षित रह सके और किसानों को इसका लाभ मिले।”
