
भोपाल: एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर से पकड़े गए सभी आवारा कुत्तों की रिहाई का आदेश दिया है। अदालत ने हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें इन कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल रैबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम भेजा जा सकेगा।
इस फैसले के आते ही पशु प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने इसे मानवीय दृष्टिकोण वाला कदम बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। पशु प्रेमियों का कहना है कि यह निर्णय न केवल आवारा कुत्तों की सुरक्षा बल्कि उनके सम्मानपूर्ण जीवन की गारंटी देता है।
टाटा कंपनी में कार्यरत शिवानी पाठक पटेल ने इस संवाददाता से कहा कि वह प्रतिदिन 75 से अधिक कुत्तों को खाना खिलाती हैं और समय-समय पर वैक्सीनेशन ड्राइव भी कराती हैं। उन्होंने कहा, “यह फैसला आवारा कुत्तों के भविष्य को सुरक्षित करेगा और हमें बड़ी राहत दी है।”
लंबे समय से कुत्तों की सेवा कर रहे कमलेश बंडवाल ने कहा, “मैं बचपन से आवारा कुत्तों को खिला रहा हूं। वे रोज़ तय समय पर मेरे घर आकर भोजन करते हैं। पहले का आदेश मेरे लिए चौंकाने वाला था।”
कविता बव्नानी ने बताया कि वह अपनी कार में हमेशा डॉग फूड रखती हैं और रोज़ भूखे कुत्तों को खिलाती हैं। वह घायल या बीमार कुत्तों को आसरा जैसे शेल्टर तक पहुंचाती हैं।
रामाकांत श्रीवास्तव ने कहा कि अगर बच्चों को कुत्तों से प्रेम करना और उन्हें खिलाना सिखाया जाए, तो वे कभी आक्रामक नहीं होंगे। प्रमांशु शुक्ला, जिन्होंने सैकड़ों कुत्तों को बचाया है, ने भी फैसले का स्वागत किया।
पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) भोपाल प्रमुख स्वाति गौरव ने कहा कि अब नए फीडिंग ज़ोन बनाए जाएंगे और हर इलाके में वैक्सीनेशन सुनिश्चित होगा। उन्होंने इसे बड़ी राहत बताया।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय पशु अधिकारों के साथ सह-अस्तित्व की भावना को मज़बूती प्रदान करता है।
