उपार्जन घोटाले में उच्च स्तरीय मिलीभगत की आशंका,सारा खेल अस्थाई लोगो ने खेला

नान के डीएम की आई डी पासवर्ड का हुआ उपयोग,इस खेल का मास्टर माइंड पर्दे के पीछे
सतना:जिले में 93 लाख के फर्जी भुगतान के बाद सामने आयी कहानी ने इस पूरे खेल की अभी तक सतही जानकारी ही बाहर आ सकी है. अभी तक की जांच में सामने आए तथ्यों ने फर्जी ढंग से भुगतान खातों में ट्रांसफर किए जाने का खुलासा कर दिया है,लेकिन अस्थाई कर्मचारियों के माध्यम से खेले गए इस पूरे खेल का मास्टर माइंड अभी भी पर्दे के पीछे रहकर अपने प्रभाव का उपयोग कर रहा है. यही वजह है कि नॉन का कार्यालय जिस थाने की सीमा में है, वहाँ के जिम्मेदारो ने अपने थाने में प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया है.

गौरतलब है कि समर्थन मूल्य पर सतना में गेहूं उपार्जन के दौरान उजागर हुई 93 लाख रुपए के घोटाले के मामले में गेहूं खरीदी ही फर्जी की गई। पूरा खेल ही फर्जी खेला गया और बेहद सुनियोजित ढंग से सरकार के खजाने से 93 लाख से अधिक की रकम निकलवा ली गई। हालांकि एडीएम की टीम ने जांच शुरू कर दी है और उसकी पकड़ में गड़बड़ियां आने भी लगी हैं। अब एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी है। रविवार को जांच दल एफआईआर दर्ज कराने सिटी कोतवाली पहुंचा जहां से उसे धारकुंडी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने की सलाह देकर रवाना कर दिया। इस मामले में सीएसपी ने भी जांच दल के सदस्यों से प्रकरण की जानकारी ली है।

प्रभारी कलेक्टर व एडीएम स्विप्नल वानखेड़े के निर्देश पर जांच टीम ने मझगवां जनपद के ग्राम कारीगोही पहुंच कर जयतमाल बाबा स्व सहायता समूह गेहूं उपार्जन केंद्र पहुंच कर 93 लाख से अधिक के 13 ट्रक गेहूं के घोटाले की जांच की। जांच टीम में प्रभारी डीएसओ एलआर जांगड़े, जॉइंट कलेक्टर सोमेश समेत खाद्य विभाग के अधिकारी व डीएम नान भी शामिल थे।जांच दल ने उपार्जन केंद्र पहुंच कर तमाम दस्तावेज जांचे और फर्जी पाई गई टीसी में दर्ज किसानों से भी बात की। किसानों ने जांच टीम को बताया कि उन्होंने तो उपज जमा की थी लेकिन पैसे अभी नहीं मिले हैं। जांच के दौरान यह पता चला कि असल किसानों की उपज फर्जी किसानों के नाम से जमा कर भुगतान करा लिया गया था।फर्जी टीसी में असल किसानों के नाम दर्ज कर 66 में से 58 उन किसानों के भी भुगतान करा लिए गए हैं। उनके नाम फर्जी टीसी में चढ़े गेहूं में ही फर्जीवाड़ा कर लिया गया है। लखनवाह गोदाम के लिए काटी गई टीसी का डायवर्सन रेलवे के उस रैक पॉइंट के लिए जो इस साल सतना में लगा ही नहीं, डीएम नान के ऑफिस से डीएम नान की आईडी से ही किया गया है।
सभी घोटाले में संलिप्त अस्थाई
जांच में यह तथ्य भी सामने आए कि डीएम नान की आईडी का इस्तेमाल उनके दफ्तर के चार ऑपरेटर करते हैं। सारा खेल उन्ही आईडी से खेला गया है। हालांकि इससे डीएम नान अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते लेकिन फर्जीवाड़े में ऑपरेटरों की भूमिका भी खुल कर सामने आ गई है। जांच दल के सामने ट्रांसपोर्टिंग ऑपरेटर सम्राट ने भी तुनक मिजाजी दिखाने की कोशिश की लेकिन बाद में उसे वहां से हटना पड़ा।वह अपनी आईडी हैक होने की बात कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश करता नजर आ रहा था लेकिन जांच दल को उसकी बातें संदेहास्पद लगीं। इधर, फर्जीवाड़े की भेंट चढ़े 93 लाख के गेहूं का एक्सेप्टेंस जारी करने वाले सर्वेयरों की निगरानी करने वाली संस्था आरबी एसोसिएट्स ने भी मामला उजागर होने के बाद यह कहना शुरू कर दिया है कि उसके ऑपरेटर के नाम से फर्जी लॉगिन आईडी जेनरेट की गई है।जबकि इस संस्था का काम भी अनुबंध आधारित है. दूसरी ओर नान का ऑपरेटर भी कलेक्टर रेट पर काम करने वाला कर्मी है.
समूह और ट्रांसपोर्टर भी अस्थाई
दरअसल, एडीएम की टीम की जांच जारी है और इस घोटाले में नए-नए तथ्य सामने आते जा रहे हैं। डीएम नान अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश में हैं तो नान ऑफिस के ऑपरेटर अपनी गर्दन बचाने मामले को डायवर्जन देने का प्रयास कर रहे हैं। आरबी एसोसिएट्स और ट्रांसपोर्टिंग ऑपरेटर सम्राट भी अपना पल्ला झाड़ने की कवायद में लगे हैं।इस सब के बीच जयतमाल स्व सहायता समूह की महिला ऑपरेटर की जगह शिवा पटेल नामक युवक का नाम जहां सुर्खियों में है वहीं उसे काम दिलाने वाले नान के ऑपरेटरों का चहेता बिचौलिया भी पर्दे के पीछे से अभी भी मामले को डायवर्सन देने की जुगत में लगा है। जांच दल का भी ध्यान अभी उस पर नहीं गया है।
जयतमाल बाबा स्व सहायता समूह ने कारीगोही उपार्जन केंद्र में गेहूं की फर्जी खरीदी,ट्रांसपोर्टिंग और एक्सेप्टेंस दिखा कर बड़े घोटाले को अंजाम दिया है। सरकारी अमले की मिलीभगत से बिना गेहूं उपार्जन केंद्र में आए ही उसकी फीडिंग की गई,उसे ट्रांसपोर्ट किया गया और टीसी डायवर्ट कर रेलवे रैक में फर्जी लोडिंग दिखाकर एक्सेप्टेंस जारी कर किसानों को भुगतान भी करा दिया गया। जबकि हकीकत में न तो सेंट्रल पूल में गेहूं भेजने का कोई आदेश था और न ही रेलवे में गेहूं लोड करने के लिए कोई रैक ही लगा था।

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