जकार्ता 01 अगस्त (वार्ता) इंडोनेशिया में नागरिक अधिकारों के विरोध के बीच आपराधिक प्रक्रिया संहिता में संशोधन तेज कर दिए गए हैं।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिज्म (आएफजे) की ओर शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति के मुताबिक इंडोनेशियाई प्रतिनिधि सभा ने जुलाई 2025 में दो दिनों में देश के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (कुहैप) विधेयक में 1,676 प्रस्तावित संशोधनों पर बहस की। इसका मसौदा कानून प्रवर्तन को व्यापक नई शक्तियां प्रदान करता है जबकि गिरफ्तारी और जांच की निगरानी को कम करता है।
आईएफजे से संबद्ध अलियांसी जुर्नलिस इंडिपेंडेंस (एजेआई), एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडोनेशिया, इंडोनेशियाई लीगल एड फाउंडेशन (वाईएलबीएचआई), विक्टिम्स ऑफ वायलेंस (कोंट्राएस) और इंस्टीट्यूट फॉर क्रिमिनल जस्टिस रिफॉर्म (आईसीजेआर) सहित नागरिक समाज समूहों ने चेतावनी दी है कि यह बिल पीड़ितों के अधिकारों को कमजोर करता है कानूनी सलाहकार तक पहुंच को प्रतिबंधित करता है तथा उचित प्रक्रिया सुरक्षा को खत्म करता है।
बिल के तहत सबसे चिंताजनक प्रावधानों में कहा गया है कि यह कुछ परिस्थितियों में अनिश्चितकालीन हिरासत की अनुमति देता है।
प्रस्तावित विधेयक राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो के प्रशासन में नागरिक स्वतंत्रता के व्यापक हनन के बीच आया है।
गौरतलब है कि वाईएलबीएचआई ने 2019 और 2025 के बीच पुलिस हिरासत में यातना के लगभग 700 मामलों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें 63 मौतें भी शामिल हैं। छात्रों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन व्यापक जन असंतोष को दर्शाते हैं।
