
जबलपुर, नवभारत। लंबे समय से अटके कैंट बोर्ड मेंबर्स (वार्ड पार्षदों) के चुनाव अब नहीं होंगे। रक्षा मंत्रालय ने संसद में स्पष्ट कर दिया है कि सिविल एरिया को निकायों में विलय की प्रक्रिया के चलते चुनाव कराना फिलहाल संभव नहीं है। इससे जबलपुर समेत देशभर के कैंट इलाकों में राजनीति कर रहे दलों और नेताओं में मायूसी फैल गई है। दरअसल, बीते कुछ महीनों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि रक्षा मंत्रालय कैंट बोर्ड के वार्ड पार्षदों का चुनाव कराने की दिशा में विचार कर रहा है। इसके संकेत भी मिलने लगे थे, जिसके चलते जबलपुर कैंट क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने लगी थीं। लेकिन हाल ही में अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने यह साफ किया कि कैंट के सिविल क्षेत्रों को नजदीकी नगरीय निकायों में विलय करने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में चुनाव प्रक्रिया उस विलय को प्रभावित कर सकती है, इसलिए चुनाव कराना संभव नहीं होगा। वही पूर्व कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक चौकसे ने इस स्थिति पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि देशभर में कैंट क्षेत्र की जनता की समस्याएं सुनने के लिए नामित मेंबर्स की नियुक्ति की गई है, लेकिन जबलपुर कैंट में अब तक यह प्रक्रिया भी पूरी नहीं की गई है। नतीजतन, यहां के नागरिकों को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
