शहर में बिजली की आवाजाही बनी सिरदर्द

सतना: पिछले एक माह से पूरे शहर में अनियमित बिजली का संचार हो रहा है.इसके बावजूद हो हल्ला करने वालों में अजीब सी चुप्पी छायी हुई है.मिली जानकारी के अनुसार बिजली के निजीकरण के बाद धीरे-धीरे घरों के बिलों में सैकडों रूपए का इजाफा हो गया.लोगों को इसके भुगतान की आदत लग गई है.हालत यह हैकि बढ़े बिल की शिकायत लेकर कार्यालय पहुचने वालों को यह कह कर बैरंग लौटा दिया जाता है कि सुधार कार्य जबलपुर से होगा यहां से सिर्फ रीडिग़ भेजी जा सकती है.

इस प्रकार के मामलों में अधिकारियों की भी मौन सहमति शामिल रहती है.वह भी उपभोक्ताओं को कोई न कोई कारण बताकर वापस लौटा देते हैं.बताया गया है कि पीक आवर में बिजली गुल होना आम बात हो गई है.भारी गर्मी में आए दिन शहर के लोगों को पूरी रात बिजली न होने के कारण खुले आसमान के नीचे काटने के लिए विवश होना पडा है.बिना किसी ठोस कारण घण्टों बिजली बन्द रहना आम बात हो गई है.

बुधवार को दिन में आसमान साफ होने के बावजूद पूरे दिन बिजली की आवाजाही लगी रही.एक उपभोक्ता ने नवभारत को फोन कर बताया कि जैसे ही पानी रिमझिम कर गिरा उसके बाद घण्टों बीत गए गुल बिजली वापस नहीं आयी.कहा जा रहा हैकि बिजली की आवाजाही से घरों के बिजली के उपकरण अपने आप खराब हो रहे है.कई बार बिजली जाने के बाद जब आती है उसका पवार पहले से इतना अधिक होता है कि बिजली के उपकरण अपने आप फूं क जाते है.
अधिकारियों में छायी चुप्पी
फिलहाल बिजली के अधिकारियों की जिम्मेदारी में बकाया बिल वसूली का मुख्य काम है.उन्हे सारे का छोड़कर विभाग द्वारा निजी कम्पनी के इशारे पर दिए गए टारगेट को पूरा करना है.टारगेट पूरा नहीं होने पर तबादला और नोटिस की कार्यवाही प्रस्तावित की जा रही है.बताया जा रहा है कि रोज-रोज मिलने वाले टारगेट और नोटिस से अधिकारी परेशान है.वो किसी तरह आम उपभोक्ता से ज्यादा से ज्यादा पैसे वसूल कर निजी कम्पनी के खाते में जमा करा रहे हैं.उनका कहना है कि ऐसा करने पीछे ऊपर से दबाव है.
महीने भर वसूली
निजी कम्पनी ने बिजली बिल वसूली के लिए अब नए नियम लागू कर दिए हैं.बताया गया है कि ज्यादातर बड़े बिलों की वसूली महीने पहले पखवाडे में कर ली जाती है.जिसकी बिलिंग कई बार बीते महीने के अन्तिम सप्ताह में ही करके बिल भेज दिया जाता है.यानी यदि उपभोक्ता चाहे दो महीने में दोबार एक महीने के बिजली बिल का भुगतान कर सकता है.फिलहाल व्यवस्था में कैसे सुधार हो इसको लेकर विभाग के कर्मचारी अधिकारियों में कोई गम्भीरता नहीं हैं

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