मोदी, आरएसएस पर अशोभनीय व्यंग्यचित्र बनाने के आरोपी को माफी मांगने के बाद मिली अंतरिम राहत

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ अशोभनीय व्यंग्यचित्र बनाने के आरोपी हेमंत मालवीय के माफी मांगने के बाद मंगलवार को अंतरिम राहत दी।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने इंदौर निवासी व्यंगचित्रकार मालवीय को अंतरिम संरक्षण का आदेश पारित करते हुए उन्हें हिंदी में हलफनामे के रूप में भी माफी मांगने का निर्देश दिया।
पीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 15 अगस्त की तारीख मुकर्रर करते हुए पक्षकारों को अगली तारीख तक अपनी दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया।
आरोपी ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तीन जुलाई उस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उनके फेसबुक पर पोस्ट किए गए संबंधित व्यंगचित्र मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। वह 14 जुलाई को उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद आपत्तिजनक व्यंगचित्र को फेसबुक से हटाने के लिए तैयार हुआ था।
सुनवाई के दौरान पीठ ने मालवीय के आचरण पर असहमति और असंतोष व्यक्त किया था।
पीठ ने 14 जुलाई को उनकी वकील वृंदा ग्रोवर से पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता व्यंग्यचित्र वाली अपनी फेसबुक पोस्ट हटाने को तैयार हैं।
इस पर सहमति व्यक्त करते हुए अधिवक्ता ने कहा था, “मैं बयान दूंगी कि मैं आपत्तिजनक टिप्पणियों का समर्थन नहीं कर रही हूं।”
उन्होंने मामले में अंतरिम सुरक्षा की भी गुहार लगाई थी और कहा था कि मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है और पुलिस उनके (मालवीय) दरवाजे पर दस्तक दे रही है।
उन्होंने हालांकि कहा था कि उनकी (याचिकाकर्ता की) टिप्पणियां अशोभनीय या घटिया लग सकती हैं, लेकिन वे कोई अपराधी नहीं हैं। इसलिए 50 साल के इस आरोपी को अंतरिम राहत दी जानी चाहिए।
इस पर पीठ ने कहा, “अभी भी (आरोपी) परिपक्वता नहीं है। हम सहमत हैं कि यह (फेसबुक पोस्ट) भड़काऊ है।”
शीर्ष अदालत ने इन टिप्पणियों के साथ कहा था कि वह इस मामले में मंगलवार को विचार करेगी।
अदालत ने कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ अशोभनीय व्यंग्यचित्र बनाने से संबंधित 2021 के एक मामले में 11 जुलाई को आरोपी मालवीय की अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ग्रोवर के मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध स्वीकार करते हुए इस मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
अदालत के समक्ष अधिवक्ता ने यह भी दलील दी थी कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता की निंदा की और कहा है कि अर्नेश कुमार (2014) और इमरान प्रतापगढ़ी (2025) के मामलों में उच्चतम न्यायालय के फैसले इस मामले में लागू नहीं होंगे।
पीठ के समक्ष उन्होंने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज अपराधों के लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है।
व्यंग्यचित्रकार हेमंत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के तीन जुलाई के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए राहत की गुहार लगाई थी । उसने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उच्च न्यायालय का हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता बताने वाला आदेश लगभग दंडात्मक लगती है, न कि ठोस जांच आवश्यकताओं या उद्देश्य पर आधारित।

Next Post

दिल्ली ओडिशा भवन पर एनएसयूआई का विरोध प्रदर्शन

Tue Jul 15 , 2025
नयी दिल्ली 15 जुलाई 2025 (वार्ता) भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने ओडिशा में बालासोर के फकीर मोहन कॉलेज की छात्रा की मौत के विरोध में मंगलवार को यहां ओडिशा भवन के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एनएसयूआई दिल्ली अध्यक्ष आशीष लांबा ने किया। उन्होंने आरोप लगाया […]

You May Like