
रीवा। शिक्षा विभाग में इस समय सब कुछ ठीक ठाक नही चल रहा है. कही फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति के मामले में डीईओ निलंबित हो रहे है तो कही जेडी की कुर्सी पर एडीएम को बैठा दिया गया है. यह कहना गलत नही होगा कि शिक्षा विभाग में सब कुछ सही नही चल रहा है. एक बार फिर रीवा का शिक्षा विभाग सुर्खियो में है.
प्रभारी जेडी के स्थानान्तरण के बाद कुर्सी खाली थी, लिहाजा कमिश्नर रीवा संभाग ने अपर कलेक्टर को अस्थाई रूप से प्रभारी बनाया गया है. जानकार सूत्रो की माने तो जेडी का प्रभार पहली बार किसी प्रशासनिक अधिकारी को मिला है, जबकि विभाग में और भी वरिष्ठ अधिकारी है. कमिश्नर के इस आदेश पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है. दरअसल नीरव दीक्षित उप संचालक एवं प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग को प्रभार मिला और उसके एक पखवाड़े बाद उनका स्थानान्तरण भोपाल के लिये कर दिया गया. 15 दिन भी कुर्सी पर नही बैठ पाए. भोपाल के लिये कार्यमुक्त होने के बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण की कुर्सी खाली थी. जिसके बाद रीवा कमिश्नर बीएस जामोद ने संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग का कार्यभार सपना त्रिपाठी अपर कलेक्टर को स्वकार्य के साथ-साथ आगामी आदेश तक अस्थाई रूप से सौपा गया है. सोमवार को जारी आदेश के बाद खलबली मची हुई है वही कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे है. सूत्रो का कहना है कि शिक्षा विभाग में कई वरिष्ठ अधिकारी है जिन्हे जेडी का प्रभार दिया जा सकता है, लेकिन ऐसा नही किया गया. बताया गया है कि आदेश जारी होने के बाद रात में ही एडीएम ने कार्यालय में आमद दर्ज कराते हुए कार्यभार ग्रहण कर लिया. मजे की बात तो यह है कि कमिश्नर के इस आदेश के बाद कुर्सी पर नजर गाडाए अधिकारी ताकते रह गये. आनन-फानन प्रभार देने के पीछे कई वजह है. जेडी नीरव दीक्षित जेडी के पद पर कुछ दिन ही रहे उसके बाद उनका स्थानान्तरण भोपाल के लिये कर दिया गया. यह स्थानान्तरण शासन की स्थानान्तरण नीति के विपरीत रहा और नीरव कोर्ट की शरण में पहुंच गये. शासन-प्रशासन को पार्टी बनाया, माना जा रहा है कि इसी के चलते कमिश्नर रीवा संभाग ने नीरव को मुक्त करते हुए एडीएम को कार्यभार सौप दिया है ताकि कोर्ट की कार्यवाही और फटकार से बचा जा सके.
