रीवा महापौर ने लगाया आरोप, कहा जनता से चुने महापौर की हो रही उपेक्षा

रीवा: नगर निगम की जनता ने 23 साल बाद अपना महापौर चुना किंतु भाजपा शासन द्वारा जनता से चुने महापौर की उपेक्षा की जा रही है. साथ ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद महापौर कार्य न करें साथ ही कार्य का श्रेय कांग्रेस के महापौर को न मिले इसका भी दबाव बनाया जा रहा है. निगम आयुक्त द्वारा महापौर को आमंत्रण भी चपरासी से भिजवाया जाता है तथा आमंत्रण पत्र में नाम तक नहीं रहता.उक्त आरोप निगम महापौर अजय मिश्रा बाबा ने गुरुवार को पत्रकार-वार्ता आयोजित कर लगाए हैं. उन्होंने निगमायुक्त सहित परिषद के अध्यक्ष पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि अध्यक्ष का जो पद है वह मात्र परिषद चलाने और उसकी तिथि निर्धारित करने के साथ पार्षदों को एजेंडा भेजने तक है. यह नगर पालिक निगम अधिनियम में वर्णित है. यही नहीं रीवा विधायक तथा मप्र शासन के उप मुख्यमंत्री पर भी आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह नगर निगम से बाहर नहीं आ पा रहे हैं.
अभी तक जो महापौर थे, रिमोट कन्ट्रोल से आपरेट हो रहे थे. उन्होंने कहा कि जब से जनता ने महापौर बनाया है, 01 अगस्त 2022 से 18 अगस्त 2023 तक में एमआईसी के द्वारा 45 वार्डों में 92 करोड़ 29 हजार 23 लाख 11 हजार के निर्माण की निविदा निकाली, 11 करोड 87 लाख 24 हजार के पीस वर्क और साथ ही 10 करोड़ की कायाकल्प की निविदा निकाली गई, कुल एक वर्ष में 1 अरब 16 करोड़ 16 लाख 93 हजार 5 रुपए के, केवल निर्माण के कार्य कराये गये हैं.
अध्यक्ष का पद सिर्फ परिषद चलाने का
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम के परिषद अध्यक्ष का जो पद है, वह मात्र परिषद चलाने और उसकी तिथि निर्धारित करने और पार्षदों को एजेण्डा भेजने तक है. यह नगर पालिक निगम अधिनियम में वर्णित है. अपने पद का दुरूपयोग करने की जो परम्परा वर्तमान में रीवा नगर निगम में चल रही है. असंवैधानिक पद के लोग रीवा में अपने वर्चस्व को स्थापित करने के लिए जनता के द्वारा चुने गये महापौर के कार्य में बाधा डाल रहे हैं. जो नगर निगम अधिनियम और नियम से संचालित होता है, उसे नियम विरूद्ध चलाना चाहते है. महापौर को आमंत्रण भी चपरासी द्वारा भिजवाया जाता है, आमंत्रण पत्र में उनका नाम ही नहीं रहता है.
आयुक्त ने पत्र का नहीं दिया जवाब
16 फरवरी 2024 को एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना क्लस्टर 6 मेगावाट वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट के कमीशनिंग एवं ग्रिड सिक्रो नाइजेशन (सीओडी) प्लांट का संचालन किया गया. 158.667 करोड़ की इस योजना में 55 प्रतिशत ग्रान्टेड कम्पनी को मिलना है, (यानि 87.27 करोड़) 6 मेगावाट बिजली का प्रति घण्टे का उत्पादन का लक्ष्य लेकर यह प्लांट की परिकल्पना की गई थी, जिसमें उद्घाटन के दिन से लेकर 27 फरवरी 2024 तक, जो टैरिफ आयुक्त द्वारा दिया गया, उस अनुसार उत्पादन 19 प्रतिशत हुआ. मेंरे द्वारा आयुक्त को लगातार पत्र लिखा गया, जिसका उन्होने जवाब आज दिनांक तक नहीं दिया, इससे यह प्रतीत होता है कि इसमें व्यापक रूपसे भ्रष्टाचार किया गया है, क्योंकि कमिशनिंग की एक रात पूर्व दिनांक 15.02.2024 रुपए 18 करोड़ 60 लाख का भुगतान कंपनी को किस आधार पर कर दिया गया.

1 अरब 33 करोड़ 98 लाख 96 हजार की अमृत 2.0 के तहत जलप्रदाय का शुभारम्भ दिनांक 24 फरवरी 2024 को किया गया. हमें समाचार पत्र के माध्यम से जानकारी हुई कि रीवा के उप मुख्यमंत्री इस योजना का शुभारम्भ कर रहे हैं, जबकि इस योजना में उनका और भाजपा की परिषद का कोई योगदान नहीं है, पूरा श्रेय कांग्रेस की एमआईसी, को जाता है. परिषद के अध्यक्ष जिनका पद ही असंवैधानिक है उस दिन वह भाषण में कह रहे थे कि महापौर और उनकी एमआईसी ने इस कार्य में रोड़े अटकाये जिसको इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जबकि एम.आई.सी. द्वारा 22 अगस्त 2022 में अनुमोदित किया गया. दूसरे अटेम्प्ट में किसी संविदाकार ने कोई निविदा नहीं डाली, तीसरे अटेम्प्ट में 09 मई 2023 को मे. बंसल कंपनी जो डिसक्वालीफाई हुआ, एसएलटीसी के द्वारा बैठक 06 अक्टूबर 2023 को दर स्वीकृति की अनुशंसा एवं अनुमोदन किया. महापौर ने आरोप लगाते हुए कहा कि निगम आयुक्त सभी कार्य नियम विरूद्ध करना चाहतीं हैं.

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