आचार्य शंकर प्रकटोत्सव के तीसरे दिन हुए विभिन्न कार्यक्रम, आज जयंती के अवसर पर निकलेंगी मंगल शोभा यात्रा
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा आचार्य शंकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पंच दिवसीय आचार्य शंकर प्रकटोत्सव के तीसरे दिन एकात्म धाम में विभिन्न गतिविधियां हुई। प्रातः शुरुआत में वेद पारायण व शंकरभाष्य पारायण के साथ दिन की शुरुआत हुई। आचार्यों द्वारा वेद की 9 शाखाओं का पारायण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर विवेकानंद पुरी ने की। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर से ही ज्ञान प्राप्त कर एवं यहाँ से यात्रा करते हुए भारत वर्ष में सनातन की रक्षा के लिए आचार्य शंकर ने चारों पीठों की स्थापना की।
*आचार्य शंकर का दर्शन ही आधुनिक वैज्ञानिकों की प्रेरणा है*
ब्रम्होंत्सव के सारस्वत वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफेसर रामनाथ झा ने आचार्य शंकर के दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य शंकर का दर्शन वैज्ञानिक दर्शन है, उनका दर्शन आधुनिक वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा है । ऋषिगणों के अनुभव से ही वैज्ञानिकों को प्रेरणा मिलती है। स्क्रोंडिंगर जैसे कई वैज्ञानिकों के शोध का आधार आचार्य शंकर का दर्शन ही है। साथ ही प्रो.झा ने कहा कि विश्व की सभी समस्याओं का कारण मनुष्य के अंदर का द्वैत भाव है,और सभी समस्याओं का समाधान एक ही दर्शन के अनुसरण में निहित है जो है आचार्य शंकर का अद्वैत दर्शन।जब तक मनुष्य के अंदर भेदभाव रहेगा तब तक मतभेद ,विवाद व आदि समस्या समाप्त नहीं होगी और इन सभी समस्याओं का समाधान केवल एक ही दर्शन के अनुसरण में है जो है आचार्य शंकर का अद्वैत दर्शन । अद्वैत दर्शन के आधार पर ही भारत का पुनः निर्माण हो सकता है। विश्व का कल्याण दूसरो से द्वेष ,भेद व द्वंद करने से नहीं बल्कि साथ चलने से होगा,और यह आचार्य शंकर के दर्शन के अनुसरण से ही संभव है। एकात्म धाम के ऊपर प्रकाश डालते हुए अद्वैत संग्रहालय ,आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान बारे में भी बताया।
*आचार्य शंकर ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को अनुभव करने वाले लाखो महापुरुषों का निर्माण किय*
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखंड प्रणव आश्रम, इंदौर के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने आचार्य शंकर के अद्वैत वेदांत के शाश्वत ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विश्व में उपद्रव का कारण द्वैत भाव है । संतोष के भाव को आत्मसात करके ही मनुष्य सुखी रह सकता है। आत्मज्ञान में ही सर्वज्ञान है । आचार्य शंकर ने सनातन धर्म को अचार संहिता प्रदान की ,जीवन की प्रत्येक क्रिया को किस प्रकार करना यह बताया । अनुबंध चतुष्टेय की विधा का निर्माण करके आचार्य शंकर ने मन को बलवान कर स्वयं को आत्मज्ञान के योग्य बनाने का मार्ग दिखाया। आचार्य शंकर ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को अनुभव करने वाले लाखो संतो का निर्माण किया।
*अद्वैत दर्शन ही अभेद दर्शन- महामंडलेश्वर प्रणवानंद सरस्वती*
महामंडलेश्वर प्रणवानंद सरस्वती ने कहा कि आचार्य शंकर का अद्वैत दर्शन की अभेद दर्शन है। आज अद्वैत भावना को आत्मसात करके सभी राग -द्वेष को समाप्त किया जा सकता है। अद्वैत वेदांत का सार इसी विचार को आत्मसात करने में ही के विश्व के प्रत्येक जीव का कल्याण है।
आज चौथे दिन शंकर जयंती पर प्रातः 07 बजे से नगर में भव्य मंगल शोभा यात्रा निकलेंगी। साथ ही विभिन्न गतिविधियों का आयोजन में प्रातः से ही किया जाएगा। शाम के सत्र में अखंड परम धाम के संस्थापक युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज शामिल होंगे।
ज्ञात हो कि ओंकारेश्वर में 108 फीट की आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही कार्यक्रमों का आयोजन न्यास द्वारा किया जा रहा है, ओंकारेश्वर के आयोजन के साथ ही शंकर जयंती के अवसर पर आज राजधानी भोपाल में भी शंकर प्रकटोत्सव का आयोजन वृहद स्तर पर किया जाएगा, कार्यक्रम में द्वारिका शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज भी शामिल होंगे।