PWD vs IDA 2 लेन का ब्रिज 6 लेन फ्लाई ओवर पर पड़ गया भारी

इंदौर: एमआर-12 सड़क पर पीडब्ल्यूडी का 2 लेन का ब्रिज आईडीए के 6 लेन ब्रिज पर भारी पड़ गया. स्थिति यह हुई कि बिना मंजूरी और प्रोजेक्ट के लागत निकाले दो लेन ब्रिज को पीडब्ल्यूडी ने 3 लेन में तब्दील कर दिया. खास बात यह है कि आईडीए ने ब्रिज की रेलवे से एनओसी ली और पीडब्ल्यूडी एनओसी उपयोग करेगा.
आईडीए ने सिंहस्थ को ध्यान में रख कर टॉस योजना 08 के अंतर्गत भाग्या जाख्या जंक्शन पर 6 लेन ब्रिज का प्रस्ताव किया था. एमआर-12 सड़क का अलायमेंट बदलने के लिए राज्य शासन और टीएनसीपी को प्रस्ताव भेज चुका था.

मंजूरी के इंतजार में आईडीए ने रेलवे विभाग से रेल्वे ओवर ब्रिज के एनओसी की कारवाई शुरू कर दी. रेलवे विभाग ने आईडीए को ड्राइंग डिजाइन सहित एनओसी जारी कर दी. आईडीए ने इसके एवज में रेलवे को 27 लाख रुपए का भुगतान भी किया. पीडब्ल्यूडी ने इस बीच उक्त 2 लेन के रेलवे ओवर ब्रिज के लिए टेंडर जारी कर एजेंसी तय कर दी. आईडीए द्वारा बनाए जाने वाले 6 लेन ब्रिज पर आपत्ति ले ली. आईडीए और संभागायुक्त दीपक सिंह ने मामले का हल निकालने के लिए उच्च स्तरीय बैठक ली थी. पीडब्ल्यूडी ने एजेंसी तय होने का हवाला देकर वर्क ऑर्डर जारी करने की बात कही. इससे आईडीए के अधिकारी सकते में आ गए, क्या करें ? क्या नहीं करें? बैठक में पीडब्ल्यूडी ने आईडीए को प्रस्ताव दिया कि 2 लेन की जगह 3 लेन ब्रिज बना कर देंगे. आईडीए चाहे तो बची 3 लेन ब्रिज अपनी योजना में बना सकता है. इसका फैसला फिल्हाल रुका हुआ है.
तय समय से पहले निर्माण करने वाली एजेंसी आईडीए
आईडीए तय समय से पहले ब्रिज निर्माण करने वाली एजेंसी है. उसके द्वारा शहर में अभी चार ओवर ब्रिज समय से पहले निर्माण कर शहर को सौंप दिए है, जिसमें खजराना, लव कुश, फूटी कोठी और भंवरकुआं ओवर ब्रिज शामिल है. सभी ब्रिज तय 18 महीने से पहले पूरे होकर आवागमन के लिए खोल दिए गए है. वहीं पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए जा रहे मुसाखेड़ी, राजेंद्र नगर ब्रिज का काम एक साल से ज्यादा समय से देरी से चल रहा है. राजेंद्र नगर रेलवे ओवर ब्रिज जिसे रेती मंडी ब्रिज भी कहते है, वह डेढ़ वर्ष से ज्यादा देरी से पीछे है. कहने का मतलब यह है कि जो ब्रिज डेढ़ साल पहले बन जाना चाहिए था, उसका काम अभी भी चल रहा है और अगले डेढ़ साल में भी पूरा होने की संभावना जताई जा रही है.
मामला कुछ इस प्रकार है…..
आईडीए टीपीएस योजना 08 में एमआर-12 सड़क पर 6 लेन फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण कर रहा था. रेलवे से बकायदा 27 लाख रुपए फीस जमा कर एनओसी के साथ ड्राइंग डिजाइन भी प्राप्त कर ली थी. इस बीच पीडब्ल्यूडी ने कहा कि यह ब्रिज तो हम बना रहे है. इसके लिए 54 करोड़ में टेंडर जारी कर एजेंसी तय की जा चुकी है. आईडीए और पीडब्ल्यूडी की उच्च स्तरीय बैठक में खुलासा हुआ कि पीडब्ल्यूडी 2 लेन ब्रिज बना रहा है. आईडीए ने कहा कि हम 6 लेन फ्लाई ओवर बनाएंगे. इसके लिए सड़क का अलायमेंट बदलने के लिए राज्य शासन और टीएनसीपी को प्रस्ताव भेजा गया है. बैठक में तय हुआ कि ब्रिज पीडब्ल्यूडी बनाएगा. इसके बाद आईडीए ने अपनी योजना वापस ले ली. पीडब्ल्यूडी ने कहा कि आईडीए चाहे तो अपनी योजना में बचे 3 लेन फ्लाई ओवर ब्रिज का निर्माण कर सकता है.
2 लेन से 3 लेन का ऐसे किया आरओबी
एमआर-12 के भाग्या जंक्शन पर पीडब्ल्यूडी ने पहले दो लेन का प्रस्ताव किया था. मंजूरी भी दो लेन की ही है. उच्च स्तरीय बैठक में आईडीए ने बताया कि 6 लेन ब्रिज की जरुरत है और भविष्य में यातायात का दबाव कम हो जाएगा. सूत्रों ने बताया कि उच्च स्तरीय बैठक में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने 2 लेन की जगह 3 लेन करने का प्रस्ताव किया. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने 3 लेन ब्रिज कैसे किया? इसको यूं समझे. पीडब्ल्यूडी ने 2 लेन आरओबी पर बनने वाली फुटपाथ हटाकर बैठक में 3 लेन का प्रस्ताव किया। रेलवे के नियम है कि आरओबी पर फुटपाथ आवश्यक है.
पीडब्ल्यूडी के निर्माण की गुणवत्ता राजकुमार और राजेंद्र नगर ब्रिज से समझे
शहर में पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए गए राजकुमार और राजेंद्र नगर ब्रिज की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. वाहन चालक उक्त ब्रिज पर घोड़े पर बैठने का आनंद लेते है. यही स्थिति तीन इमली ब्रिज की है, जहां ब्रिज पर डगमग डगमग होकर वाहन चलाना महसूस होता है. उक्त उदाहरणों से समझा जा सकता है कि एमआर-12 पर बनने वाले ब्रिज के हालात क्या होगी. उससे भी खास बात यह है कि क्या ब्रिज सिंहस्थ के पहले बन जाएगा?

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