‘ लौट के ट्रंप घर को आए…‘

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं। वे कब क्या कह दें, अपने कहे से मुकर जाएं, पलटी मार दें, अंदाज लगाना मुश्किल है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत द्वारा पाक पर ताबड़तोड़ हमले किए जाने और पाक द्वारा मुकाबला करने की नाकाम कोशिश के बाद जिन भी परिस्थितियों में सीजफायर हुआ, निष्पक्ष विश्लेषक कुछ भी आंकलन करें लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले तो सीजफायर का सारा श्रेय खुद बटोर लिया लेकिन भारत सरकार द्वारा उनके दावों, प्रतिदावों को सख्ती से खारिज किए जाने के बाद उन्होंने यह कहते हुए यूटर्न ले लिया है कि दक्षिण एशिया के इन दोनों परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों के दरम्यान सीजफायर या मध्यस्थता कराने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। यह साफ है कि बाइडन की ढुलमुल नीतियों और तात्कालिक परिस्थितियों के चलते ट्रंप भले ही अमेरिका में दोबारा राष्ट्रपति बन गए हैं लेकिन अब उनकी लोकप्रियता का पैमाना तेजी से खिसक रहा है। यही वजह है कि भारत पाक संघर्ष रुकवाने का सेहरा अपने सिर बांधकर वे अपनी सर्वमान्य विश्वनेता की छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जिस तरह भारत ने उनके दावे पर अपनी मोहर लगाने से इंकार कर दिया, उसके बाद उन्हें अपने कदम पीछे खिसकाना पड़े हैं।

कश्मीर, एलओसी, पीओके और भारत पाक के संबंधों से जुड़े अन्य पहलुओं पर भारत की रीति नीति शीशे की तरह साफ है। भारत का स्पष्ट मानना है कि उसके पाक से जुड़े जो भी विवाद हैं, उन्हें सुलझाने की वह पूर्ण सामर्थ्य रखता है और किसी तीसरे देश का दखल या मध्यस्थता उसे स्वीकार नहीं है लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के मध्य दोनों देशों के डीजीएमओ की बातचीत के बाद सीजफायर पर जो रजामंदी बनी, ट्रंप ने उसे अमेरिकी प्रयासों का प्रतिफल बताकर भारत की कश्मीर नीति को नए और आश्चर्यपूर्ण संदर्भ देने की कोशिश की। ट्रंप ने आतंकवाद और सैन्य संघर्ष को यह कहते हुए व्यापार से जोड़ दिया कि उन्होंने दोनों ही संघर्षरत देशों को बता दिया है कि यदि वे युद्ध रोकेंगे तो अमेरिका उनके साथ कारोबार करेगा। ट्रंप यह भूल गए कि भारत अपनी स्थापित नीति और देश की अखंडता और एकजुटता से जुड़े 78 वर्ष पुराने मसले को सिर्फ कारोबार के लोभ में अधबीच नहीं छोड़ सकता है।

अमेरिका भले ही सुपरपावर है लेकिन विश्व राजनीति में ट्रंप के बयानों को कभी गंभीरता से नहीं लिया जाता। सीजफायर के बाद उन्होंने जिस तरह के वक्तव्य दिए, उनमें भारत के प्रति सम्मान तो कहीं भी परिलक्षित नहीं होता। उन्होंने आतंकवाद से पीडि़त भारत और आतंकियों के संरक्षक पाकिस्तान, दोनों देशों को महान बताकर बराबरी में खड़ा करने की कोशिश की। वे यह भूल गए कि भारत की सभ्यता और संस्कृति युगों पुरानी है जबकि पाक का जन्म ही 78 वर्ष पहले हुआ है। भारत ने जहां आजादी के बाद लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपनाया वहीं पाक में ज्यादातर वक्त फौजी हुकूमतें रहीं, जहां जनता के सच बोलने पर हमेशा पाबंदी रही। भारतीय जनता को खुशी होती, डोनाल्ड ट्रंप यदि भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए पाक को फटकार लगाकर न सिर्फ सुधर जाने की चेतावनी देते बल्कि ऑपरेशन सिंदूर को भारत का न्यायोचित कदम ठहराते।

यह अच्छी बात है कि ट्रंप को बहुत जल्द इस बात का एहसास हो गया कि सीजफायर का श्रेय लेने की कोशिश का दुनियाभर में मजाक बन रहा है। उनके आधारहीन बयानों पर भारत की ओर से उन्हें कई बार सख्त संदेश देने पड़े, तब कहीं उन्हें अपने कहे से मुकरना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को ही देश के नाम अपने संबोधन में साफ कर दिया था कि भारत किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके बाद हमारे विदेश मंत्रालय ने भी कह दिया था कि ट्रंप नहीं बल्कि भारत ने अपनी शर्तों पर पाकिस्तान के साथ सैन्य कार्रवाई को स्थगित करने का फैसला किया है। भारत ने बार बार स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाक को पीओके खाली करना ही होगा। ट्रंप का यह दावा भी सच की कसौटी पर खरा नहीं उतरा है कि भारत ने उन्हें शून्य टैरिफ का ऑफर दिया है, असलियत यह है कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अभी चल ही रही है। अभी तलक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है लेकिन भारत का मानना है कि कोई भी डील दोनों देशों के लिए फायदेमंद होनी चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि व्यापार से एक देश को फायदा हो और दूसरे को नुकसान। दुनिया को भ्रम में डालने वाले ट्रंप के बयानों पर भारत ने जो त्वरित काउंटर स्टैंड अपनाया, यह अपने पैरों पर खड़े एक मजबूत देश की मजबूत विदेश नीति का द्योतक है।

Next Post

कांग्रेस ने माकपा पर कांग्रेस कार्यालयों और नेताओं पर योजनाबद्ध हमले करने का आरोप लगाया

Sat May 17 , 2025
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email कन्नूर (वार्ता) केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष और विधायक सनी जोसेफ ने प्रदेश में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर कांग्रेस कार्यालयों और नेताओं पर योजनाबद्ध हमले करने का आरोप लगाया है। श्री जोसफ ने […]

You May Like