पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध जो भी कदम उठाए हैं, उन्हें चीन को छोडक़र विश्व के सभी प्रमुख देशों का समर्थन मिला है.यहां तक कि अधिकांश मुस्लिम राष्ट्रों ने भी भारत के रुख का समर्थन किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो भारत के प्रधानमंत्री से लगभग यह कह दिया है कि प्रधान मंत्री मोदी जो कुछ भी करेंगे, अमेरिका उनका समर्थन करेगा. फ्रांस, रूस, अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इटली, इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई बड़े देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके भारत के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है. भारत की एक और महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता यह रही कि पहलगाम हमले से लेकर अब तक हमने कभी भी पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया.पिछले आतंकी हमलों के दौरान जिस तरह से भारत द्वारा पाकिस्तान को डोजियर सौंपा जाता था, इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया, इसके बावजूद पाकिस्तान बौखलाहट में है. यहां तक कि उसके रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने भी यह स्वीकार किया है कि पाकिस्तान पिछले 30 वर्षों से आतंकवादियों को प्रशिक्षित कर रहा है. स्पष्ट रूप से, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करके पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है. इसी के साथ रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पहलगाम हमले को लेकर दुख व्यक्त किया. उन्होंने यह बिल्कुल सही कहा कि आतंक की तस्वीरों को देखकर हर भारतीय का खून खौल रहा है. ऐसे समय में जब कश्मीर में शांति लौट रही थी, लोकतंत्र मजबूत हो रहा था, पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही थी और लोगों की आय बढ़ रही थी, तब देश और विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों को यह अच्छा नहीं लगा. हम सभी को यह समझना होगा कि आतंकवादी चाहते हैं कि कश्मीर फिर से तबाह हो जाए. इस मुश्किल घड़ी में 140 करोड़ देशवासियों की एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है.
वास्तव में, भारत के लोगों में जो आक्रोश है, वही भावना पूरी दुनिया में है. इस आतंकी हमले के बाद दुनिया भर से लगातार संवेदनाएं आ रही हैं. स्वाभाविक रूप से, कई राष्ट्र प्रमुखों ने प्रधानमंत्री को फोन करके पहलगाम की घटना पर दुख जताया है और इस जघन्य आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है. प्रधानमंत्री का यह कहना एकदम सही है कि पूरा विश्व आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है.
फिलहाल, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि उसके पास सात दिनों से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार नहीं बचा है. इसके बावजूद, जनरल मुनीर के जिहादी बयान और शेखचिल्ली जैसे दावे कम नहीं हुए हैं.यह कहावत चरितार्थ होती है कि ‘रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई’. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो का ‘खून या पानी’ बहने वाला बयान भी दरअसल सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले से उत्पन्न घबराहट का परिणाम है।
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2008 में मुंबई हमले के बाद भारत में गुस्से और बदले की भावना को शांत करने के लिए पाकिस्तान ने संयुक्त जांच का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अजमल कसाब और डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ के आधार पर मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ भारत द्वारा भेजे गए डोजियर पर पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की. विभिन्न आतंकी हमलों की जांच के संबंध में भारत द्वारा भेजे गए 20 लेटर रोगेटरी (एलआर) का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. इसके अतिरिक्त, पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले की भारत-पाकिस्तान की संयुक्त जांच भी हुई थी, जिसके लिए पाकिस्तानी जांच दल भारत आया था, लेकिन उसका कोई परिणाम सामने नहीं आया. स्पष्ट है कि किसी भी निष्पक्ष और स्वतंत्र एजेंसी से जांच की शरीफ की मांग सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने और भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई से बचने का एक प्रयास है. एक तरफ पाकिस्तान पहलगाम हमले से अपना पल्ला झाडऩे की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी ओर वह कश्मीर को अपनी ‘गर्दन की अहम नस’ बताने से भी बाज नहीं आ रहा है.