सीधी: जल गंगा संवर्धन अभियान में भी हिरन नदी का उद्धार नही हुआ। पिछले वर्ष भी जल गंगा संवर्धन अभियान के दौरान नदी से नाले में परिवर्तित शहर की हिरन नदी को पुन: अस्तित्व में लाने का दावा स्थानीय प्रशासन और जन प्रतिनिधियों द्वारा किया गया था। इसके लिये सांसद एवं सीधी विधायक के साथ ही कलेक्टर द्वारा भी राजस्व अमले को निर्देशित किया गया था कि हिरन नदी की पुरानी सीमा का सीमांकन किया जाय, साथ ही सीमांकन के दौरान हिरन नदी के दोनो तटों पर हुये अतिक्रमण को चिन्हांकित कर वैधानिक कार्यवाई की जाय।
पिछले वर्ष मानसून के जल्द आने के चलते हिरन नदी के सीमांकन का कार्य राजस्व अमला द्वारा नहीं किया गया।हिरन नदी के सीमांकन के लिये बरसात के बाद कार्यवाई के लिये उस दौरान कहा गया था। बाद में राजस्व अमले द्वारा हिरन नदी के सीमांकन की कार्यवाई को लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा। अब फिर से जल गंगा संवर्धन अभियान का आगाज हो चुका है। लिहाजा हिरन नदी को आज भी अपने पुनर्जीवित होने का इंतजार बना हुआ है। हिरन नदी के दोनो तटों से अतिक्रमण को हटाकर यहां थनहवा टोला से लेकर डैनिहा या सिंगरौली मार्ग तक सडक़ का निर्माण भी कराने की आवश्यकता है।
इनका कहना है
हिरन नदी को जल गंगा संवर्धन अभियान में जोडक़र पुनर्जीवित करने के लिए पिछले वर्ष ही जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया था। शहर की सूखा एवं हिरन नदी भी जल स्रोत की एक प्रमुख जीवन रेखा है। जिला प्रशासन की ये जिम्मेदारी और दायित्व है कि सरकार की मंशा अनुरूप जल गंगा संवर्धन अभियान से इसे जोडक़र जो भी व्यवहारिक समस्या आ रही है उसका जल्द निदान कर हिरन नदी का सीमांकन करा उसे पुनर्जीवित करें।
डॉ.राजेश मिश्रा, सांसद सीधी
मैं जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दूंगी कि सीधी शहर की हिरन नदी की सीमा और अतिक्रमणों का जल्द से जल्द चिन्हांकन किया जाए। साथ ही जल गंगा संवर्धन अभियान से हिरन नदी को जोड़ा जाए।
श्रीमती रीती पाठक, विधायक सीधी
जल गंगा संवर्धन अभियान के दौरान हिरन नदी का जल्द सीमांकन कर अतिक्रमण को चिन्हित कर विधिक कार्यवाई करने के निर्देश तहसीलदार एवं राजस्व अमले को दिये गये हैं।
नीलेश शर्मा, एसडीएम गोपदबनास