जबलपुर: मिशन अस्पताल दमोह में फर्जी डॉक्टर के कारण हुई 7 मौतों के बाद प्रशासन ने सभी निजी अस्पतालों और क्लीनिक में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों की प्रमाणित योग्यता और पंजीकरण की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करने का फैसला ले लिया है। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग से जारी आदेश के बाद जबलपुर के सभी अस्पतालों को 21 अप्रैल तक अपने चिकित्सा अधिकारियों की योग्यता एवं पंजीकरण की जांच कर इसकी पुष्टि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जबलपुर को लिखित रूप में देनी होगी।
इस रिपोर्ट के साथ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर यह उल्लेख करना भी आवश्यक होगा कि संस्थान में केवल अधिकृत एवं योग्य चिकित्सकों द्वारा ही चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।विदित हो कि कुछ दिनों पहले दमोह के मिशन अस्पताल में जो खुलासा हुआ वो काफी चौंकाने वाला रहा। जिसमें सामने आया कि डॉ. एन जॉन केम एक फर्जी डॉक्टर था जिसने बिना डिग्री के करीब 15 लोगों के हार्ट का ऑपरेशन कर दिया था और इनमें से करीब 7 लोगों की मौत भी हो चुकी थी।
मरीजों की देखभाल-इलाज में जरूरी है वैध डिग्री
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, जबलपुर जिले के सभी निजी चिकित्सालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीजों की देखभाल और उपचार में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न सभी चिकित्सा अधिकारियों के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त वैध चिकित्सा डिग्री, मात्र आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीकरण, आवश्यक प्रमाणपत्र, और यदि लागू हो तो अतिरिक्त विशेषज्ञ योग्यता का पंजीकरण हो। यह प्रावधान राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019, क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट अधिनियम, 2010, एवं मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एवं क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत अनिवार्य है।
इनका कहना है
–मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल में जो भी डॉक्टर्स पंजीकृत नहीं हैं उन्हें अस्पताल में काम करने की अनुमति अस्पताल संचालक को नहीं देनी है। अगर ऐसा पाया गया तो संबंधित डॉक्टर्स के साथ अस्पताल संचालक के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
–डॉ. संजय मिश्रा, मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी।