मंजूरी कही पर, रेत खनन कही और स्थान पर

बिना सीमांकन के रेत उत्खनन जोर शोर से रेत खदान स्थलों पर मुनारा एवं बोर्ड के नही हुये दर्शन, ठेकेदार क ी भी मनमानी

सिंगरौली : जिले में तकरीबन डेढ़ दर्जन रेत खदानें संचालित हैं। किन्तु रेत खदानों का ढाई महीने बाद भी सीमांकन नही कराया गया है। रेत का उत्खनन बिना सीमांकन के ही संविदाकार साहाकार ग्लोबल कंपनी धड़ल्ले के साथ कर रही है। खनन के लिए मंजूरी कही और पर मिली है और संविदाकार दूसरे ग्राम पंचायतों में रेत का उत्खनन एवं परिवहन कर रहा है। वही उक्त मामले में कोई अधिकारी रेत उत्खनन कंपनी पर हाथ डालने से क तरा रहे हैं।गौरतलब है कि जिले में रेत उत्खनन एवं परिवहन का ठेका साहाकार ग्लोबल कंपनी को मिला हुआ है। जहां सूत्र बताते है कि 16 जनवरी से हर्रहवा, पिपराकुरन्द, ओरगाई, भड़सेड़ी, हर्दी, निगरी, जियावन, तलवा, रम्पा, रजमिलान, कर्सुआराजा समेत करीब डेढ़ दर्जन रेत खदाने संचालित हैं।

जहां उक्त कंपनी बिना सीमांकन के ही खदानों से रेत उत्खनन एवं परिवहन कर रही है। आरोप है कि खदाने कही और मंजूर हैं। बिना सीमांकन के कारण रेत उत्खनन दूसरे पंचायतों में किया जा रहा है। यह समस्या आज से नही जब से कंपनी एवं खनिज विभाग के बीच एग्रीमेंट हुआ तब से ही यह सिलसिला चल रहा है। ताज्जुब इस बात का है कि ढाई महीने से रेत खदाने संचालित हैं। इसके बावजूरद खादानों का सीमांकन कराने के लिए किसी प्रकार जहमत नही उठाई गई है। लिहाजा रेत ठेकेदार अपने मन मुताबिक रेत उत्खनन कर परिवहन कर रहा है। चर्चाए इस बात की है कि ठेकेदार पर भोपाल के कुछ अधिकारियों का चहेता है। जिसके चलते जिले के अधिकारी ठेकेदार पर विशेष दबाव नही बना पा रहे हैं। जिसके चलते मनमानी तौर पर रेत का उत्खनन चल रहा है। रेत के खनन एवं उत्खनन के मामले में खनिज अमला कुछ भी कहने के लिए तैयार नही है। लेकिन अन्दर खाने से खबरें आ रही हंै कि मामला हाई प्रोफाइल है।
पंचायतों से मिल रही हैं शिकायतें: प्रणव
देवसर जनपद पंचायत के अध्यक्ष प्रणव पाठक ने उक्त मामले के सवालों का जवाब देते हुये क हा कि यह सही है कि मुझे भी कई ग्राम पंचायतों से जहां पर खदाने संचालित हैं। वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा लिखित एवं मौखिक रूप से बताया गया है कि खदानें बिना सीमंाकन के ही संचालित है। खदानें कहीं और पंचायतों में स्वीकृति है और खनन दूसरे पंचायतों में किया जा रहा है। इस संबंध में मेरे द्वारा एसडीएम देवसर एवं खनिज अधिकारी सिंगरौली को सूचित किया गया है। हमारी सरकार अवैध उत्खनन न हो इसके लिए कड़े निर्देश दे चुकी है। यह बात सही है कि कुछ अधिकारी-कर्मचारी ठेकेदार से मिलकर हमारी सरकार को बदनाम करने में लगे हुये हैं। मैं इस संबंध में शीघ्र ही कलेक्टर से चर्चा करूंगा।
जब सीमांकन नही फिर खनन की मंजूरी कैसे?
जानकारी के अनुसार सीमांकन के पूर्व रेत खनन करने का अधिकार नही है। खनिज दफ्तर में सीमांकन की रिपोर्ट जमा करने के बाद ही संविदाकार को रेत का खनन करना चाहिए। किन्तु जिले में ऐसा नही हो रहा है। जबकि चिन्हित रेत खदानों का विधिवत सीमांकन होना चाहिए और सीमांकन में राजस्व निरीक्षक, हलका पटवारी, खनिज अमला, सर्वेयर, वन अमला एवं ठेकेदार को शामिल होना चाहिए। वही सीमांकन के बाद रेत खदान स्थल के सीमा पर चारों ओर मुनारा व साईनबोर्ड में खसरा नम्बर, स्वीकृत रेत खदान का नाम कब से कब तक खनन की मंजूरी है। ठेकेदार का नाम, टोटल रकवा का उल्लेख होना चाहिए। लेकिन रेत खदान स्थल पर कही ऐसा बोर्ड नजर नही आ रहा है। नवभारत की टीम कई रेत खदानों का मुआयना किया। जहां ओव्हरलोड से लेकर अन्य कई शिकायते ग्रामीण जनों के द्वारा दी गई।
माड़ा, निगरी में भर्रेशाही
सूत्र बताते हैं कि निगरी पुलिस चौकी क्षेत्र में रेत कही और स्वीकृत है और जहां मंजूर है वहां गोपद नदी का पानी जमा है। रेत का खनन टिकरी में किया जा रहा है। इधर माड़ा एवं कोतवाली बैढऩ क्षेत्र में भी इसी तरह का खेल हो रहा है। जहां सरकारी तंत्र ठेकेदार पर मेहरबान दिख रहा है।

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