( राजेंद्र पाराशर)खंडवा । कहीं बूढ़े बाप के कंधे पर बेटे की अर्थी का बोझ, तो कहीं बेटा इस लायक उम्र का भी नहीं, कि वह अपने पिता की अर्थी का बोझ उठा सके। एक पिता की तो 6 बच्चियां ऐसे बिलखकर रोईं कि हजारों लोगों ने रुमाल से खुद की आंखें भी पोंछ लीं। एक पिता की अर्थी को तो पुत्री ने ही अग्नि दी। आज पूरे गांव की गलियां शवयात्रा में बदल गईं। यह उसी गांव का बदनसीब नजारा था, जिस गांव का कुंआ एक के बाद एक आठ लोगों की जानें निगल गया था।
लोगों की आंखों में गुस्सा तो बहुत था, लेकिन किस पर यह गुस्सा उतारें? समझ नहीं आ रहा था। अब प्रशासन ने ग्रामीणों की मांग पर इस कुंए को ही बंद करने का निर्णय लिया है। फिलहाल कुंए पर बड़ा ढक्कन लगा दिया गया है। कलेक्टर ने कहा है कि जल्द इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। मौके पर सबसे पहले पुलिस पहुंची। कोंडावत गाँव व सात कोस दूर के गांव में भी इस वक्त मातम है । नए कपड़े पहनकर रणुबाई की बेटी जैसी विदाई करने आए, लोगों को आठ शव यात्राओं में मजबूरन शामिल होना पड़ा । गुरुवार रात से गांव के घरों में चूल्हे नहीं जले। जलते भी कैसे, जब इस गांव के आठ-आठ चिराग एक साथ बुझ गए हों। परिवार के लिए रोटी का इंतजाम यही युवा करते थे !
सबके चहेते थे आठों युवा
हादसे का शिकार सभी युवा गाँव के चहेते थे । हर त्यौहार में आगे बढ़कर काम करना। हर किसी की मदद किया करते थे। गणगौर पर भी इन लोगो ने हर बार की तरह इस बार भी कुंए की सफाई का बीड़ा उठाया था। इस बार कुदरत ने कुछ और तना-बना बना रखा था। कुंए की सफाई करने उतरे दो लोग कब वापस नही आए तो उन्हें बचाने एक के बाद 8 लोग इस मौत के कुंए में समा गए।
बेटी ने निभाया फर्ज
मुक्तिधाम पर सबकी सांसें उस समय थम गईं, जब एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। दरअसल घटना में मृतक वासुदेव पटेल की 6पुत्रियां हैं। उनका कोई पुत्र नहीं था। इसलिए उनकी 15 वर्षीय बड़ी पुत्री ने मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर सारे लोगों की आंखों से आंसू टपक पड़े।
विधायक भी गांव में पहुंची
घटना के बाद शुक्रवार क्षेत्रीय विधायक छाया मोरे मृतकों के परिजनों के बीच पहुंची। शोकाकुल परिवार के लोगों से मिलकर उन्हें ढाढस बंधाया। उसके बाद ग्रामीणों से कहा, हमारी सरकार दुःख की इस घड़ी में परिजनों के साथ है। मुख्यमंत्री से बात कर हर संभव मदद दिलवाई जाएगी।