सियासत
शहर कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पशोपेश में आ गए हैं. कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का गांधी भवन में स्वागत करने और उन्हें शिष्टाचारवश गुलाब जामुन इत्यादि खिलाने के मामले में मौजूदा शहर अध्यक्ष सरदार सुरजीत सिंह चड्ढा देशभर में चर्चित हुए थे. इस वजह से पिछले प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह उन पर खफा थे. उनके दबाव में प्रदेश कांग्रेस ने सुरजीत चड्ढा को निलंबित किया लेकिन बाद में फिर से बहाल कर दिया.
करीब डेढ़ महीना पूर्व जब राहुल गांधी महू आए थे तो भंवर जितेंद्र सिंह ने जीतू पटवारी से सुरजीत चड्ढा को हटाने के लिए कहा था. ऐसा हो पाता इससे पूर्व ही कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने हरीश चौधरी को प्रदेश प्रभारी बना दिया है. जाहिर है मामला फिर लटक गया. सूत्रों का कहना है कि भंवर जितेंद्र सिंह का इस संबंध में अभी भी दबाव है. इसी को देखते हुए जीतू पटवारी शहर अध्यक्ष पद पर अश्विन जोशी और विपिन वानखेड़े के नामों पर विचार कर रहे थे.
उनकी सज्जन सिंह वर्मा से इस संबंध में बिजलपुर में चर्चा भी हुई थी. ऐसे में कहा जा रहा था कि 2018 में उज्जैन संभाग की आगर दलित सुरक्षित सीट से विधायक चुने गए विपिन वानखेड़े शहर अध्यक्ष होंगे. ध्यान रहे विपिन वानखेड़े मूलतः इंदौर के निवासी हैं. लेकिन अब पता चला है कि विपिन वानखेड़े शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए आनाकानी कर रहे हैं. इसका कारण यह है कि यदि वो इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं, तो आगर विधानसभा सीट से उनका दावा समाप्त हो जाएगा.
सूत्रों का कहना है कि जीतू पटवारी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि वो शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो 2028 में सांवेर से लड़ सकते हैं, लेकिन विपिन को आगर सीट ज्यादा आसान लग रही है. इसलिए वो इस पद पर आने से बच रहें हैं. इधर सूत्रों का कहना है कि सज्जन सिंह वर्मा अश्विन जोशी पर सहमति नहीं दे रहे हैं. दीपू यादव, पिंटू जोशी, चिंटू चौकसे, शेख अलीम जैसे कांग्रेस के अन्य नेता भी अश्विन जोशी के नाम पर सहमत नहीं हैं. जबकि विपिन वानखेड़े के नाम पर सहमत हैं
