नयी दिल्ली 01 अप्रैल (वार्ता) केन्द्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का हवाला देते हुये मंगलवार को कहा कि प्रभावी आपराधिक न्याय का भविष्य कानूनी ढांचे को तकनीकी क्षमता और संस्थागत नवाचार के साथ जोड़ने में निहित है।
श्री वैष्णव ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के संस्थापक निदेशक डीपी कोहली के स्मरण और सीबीआई के 62वें स्थापना दिवस पर यहां आयोजित 21वीं डी.पी. कोहली स्मारक व्याख्यान को संबोधित करते हुये अगले दो दशकों में भारत की प्रगति में एजेंसी की भूमिका के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम के दौरान, सीबीआई अधिकारियों को उनकी समर्पण और असाधारण योगदान को स्वीकार करते हुए विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएम) और सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएम) प्रदान किए गए। कुल मिलाकर 26 अधिकारियों को पुलिस पदक प्रदान किए गए।
श्री वैष्णव ‘विकसित भारत 2047 – सीबीआई के लिए एक रोडमैप’ विषय पर कहा “ हमारे शिक्षाविदों, हमारे वैज्ञानिकों, हमारे शोधकर्ताओं के पास आज उल्लेखनीय ताकत और क्षमताएं हैं। इस ताकत का उपयोग जांच एजेंसियों, कानून अधिकारियों और सरकारी विभागों द्वारा तकनीकी समाधानों को सह-विकसित करने के लिए किया जाना चाहिए। अकेले कानून पर्याप्त नहीं होगा, हमें नए युग के अपराधों और जांच से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए तकनीकी-कानूनी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”
मंत्री ने सीबीआई से शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ सक्रिय रूप से भागीदारी करके अत्याधुनिक साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने संस्थागत ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जो इस तरह के सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं और सुझाव दिया कि एमईआईटीवाई, दूरसंचार विभाग (डीओटी), और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) जैसे मंत्रालय और विभाग आधुनिक कानून प्रवर्तन के लिए आवश्यक तकनीकों का सह-निर्माण करने के लिए जांच एजेंसियों के साथ मिलकर काम करते हैं।
मंत्री की टिप्पणी तेजी से हो रहे तकनीकी विकास की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डीपफेक और साइबर-सक्षम अपराधों से उत्पन्न चुनौतियाँ शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रभावी आपराधिक न्याय का भविष्य कानूनी ढाँचों को तकनीकी क्षमता और संस्थागत नवाचार के साथ जोड़ने में निहित है। पिछले दशक में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा पर विचार करते हुए, मंत्री ने देश की तीव्र आर्थिक वृद्धि, मजबूत शासन और तकनीकी नेतृत्व का उल्लेख किया। उन्होंने पिछले दशक में विकास रणनीति के चार स्तंभों पर प्रकाश डाला, पहला, भौतिक, सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचे में सार्वजनिक निवेश, दूसरा बड़ी संख्या में समावेशी विकास कार्यक्रम, तीसरा विनिर्माण और नवाचार पर मजबूत ध्यान और चौथा, कानूनी और अनुपालन संरचनाओं का सरलीकरण।