जबलपुर। सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का ट्रायल पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में किया गया। ट्रायल तीन चरणों में किया गया, जो सफल रहा। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के दिशा-निर्देशानुसार आगामी 72 दिनों में जहरीले कचरे का विनष्टीकरण किया जाये। जहरीले कचरे को 270 किलो प्रति घंटे के हिसाब से जलाया जायेगा।
भोपाल निवासी आलोक प्रभाव सिंह द्वारा साल 2004 में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड कंपनी से हुए जहरीले गैस रिसाव में लगभग 4 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी। भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में करीब 350 मीट्रिक टन जहरीले कचरा पड़ा है। याचिका में जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण की मांग की गयी थी। याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाईकोर्ट मामले की सुनवाई स्वतः संज्ञान लेकर कर रहा है।
याचिका पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि तीनों ट्रायल सफल रहे। तीनों चरण में दस-दस मीट्रिक टन कचरा जलाया गया। ट्रायल के तौर पर कचरे को 27 फरवरी को पहले चरण में 135 किलो कचरा प्रति घंटे जलाया गया। दूसरे चरण में 4 मार्च को 180 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया गया। तीसरे व अंतिम चरण में 10 मार्च को 270 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया गया। तीनों ट्रायल की रिपोर्ट सही पाई गयी है। इंटर विनर की तरफ से बताया गया कि 300 मिट्रिक टन कचरा चलाये जाने पर समस्या तीन गुना बढ सकती है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 300 मिट्रिक टन कचरा जलने पर 900 मिट्रिक टन राख निकलेगी,जिसके लैंडफिल में डाला जायेगा। जिससे कारण प्रदूषण में बढोत्तरी होगी। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, खालिद फखरुद्दीन तथा सरकार महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पैरवी की।