नई दिल्ली, (वार्ता) केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने की अपील करते हुए आज कहा कि यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान दे सकता है।
श्री शेखावत ने बुधवार को यहां फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) के पर्यटन सतत शिखर सम्मेलन 2025 में कहा कि पर्यटन क्षेत्र आने वाले वर्षों में भारत की जीडीपी वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान दे सकता है। उन्होंने उद्योग के हितधारकों से इस क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की अपील की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पर्यटन हमारे देश का विकास इंजन है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और पर्यटन में भी उसी रफ्तार से आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं।” उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती पहचान का उल्लेख करते हुए कहा कि दावोस सम्मेलन में चर्चा हुई थी कि अगले आठ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था दोगुनी हो सकती है।
श्री शेखावत ने हालांकि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा, “जलवायु परिवर्तन हमारे सामने खड़ा है-ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं और हमें तुरंत कदम उठाने होंगे।” उन्होंने उद्योग से इस मुद्दे पर गंभीर विचार-मंथन और जिम्मेदारी लेने का आग्रह करते हुए कहा, “हमें अपने लक्ष्य तय कर उनके अनुसार काम करना होगा तभी हम सफल होंगे।”
इस मौके पर पर्यटन मंत्रालय के अपर सचिव सुमन बिल्ला ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है क्योंकि पर्यटक अब ऐप-आधारित सेवाओं का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत वर्ष 2047 तक पर्यटन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बनना चाहता है। हमें अतुल्य भारत को वैश्विक मानकों के अनुरूप ढालना होगा।
श्री बिल्ला ने सवाल उठाया कि क्या हम सिर्फ बड़े होने की ओर बढ़ रहे हैं या सतत और बेहतर विकास की दिशा में कदम उठा रहे हैं। अनियंत्रित पर्यटन से सांस्कृतिक नुकसान हो सकता है। हमें अपनी विरासत को मजबूत करते हुए पर्यटन को बढ़ाना होगा। उन्होंने मिशन लाइफ पर जोर देते हुए कहा कि यह बिना सोचे-समझे उपभोग से सचेत जीवनशैली की ओर बढ़ने का आह्वान है। उन्होंने उद्योग से स्थानीय शिल्प को बढ़ावा देने, जलवायु-अनुकूल मॉडल अपनाने और समुदायों को शामिल करने की अपील की और कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि परियोजनाएं रोजगार, आजीविका और समुदायों की भागीदारी को बढ़ाएं।”
मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव शिव शंकर शुक्ला ने बताया कि राज्य में 14 यूनेस्को स्थल, 25 प्रतिशत वन क्षेत्र, 12 राष्ट्रीय उद्यान और दो ज्योतिर्लिंग हैं, जो इसे पर्यटकों के लिए खास बनाते हैं। नर्मदा नदी पर बने बांधों और सांस्कृतिक विविधता के कारण पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राज्य सरकार ग्रामीण और आदिवासी पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, जिसमें होमस्टे और 50 नए पर्यटन स्थल शामिल हैं। क्रूज पर्यटन को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
एफएचआरएआई के अध्यक्ष के. श्याम राजू ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन पर्यटन उद्योग की चुनौतियों के समाधान के लिए एक अहम मंच है। उन्होंने कहा, “हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, जिन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में बदला जा सकता है। यह सोच दुनिया भर के पर्यटकों को लुभा रही है।”
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने सतत पर्यटन मॉडल पर बल दिया, खासकर ब्रिटेन और अमेरिका से आने वाले पर्यटकों को देखते हुए। वर्ल्ड सस्टेनेबल हॉस्पिटैलिटी एलायंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ग्लेन मांडजिउक ने कहा कि सतत निवेश और तकनीक इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।