जम्मू कश्मीर जैसा बना हाल, किसानों के चेहरे पर आई निराश,पक्षी मरे….
नवभारत,न्यूज
हटा/दमोह. जिले के पटेरा,कुण्डलपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में शुक्रवार, 21 मार्च 2025 की शाम 3 बजे हुई अति ओलावृष्टि से खेती को भारी नुकसान होने की खबर है. इस प्राकृतिक आपदा के कारण फसलों को व्यापक क्षति पहुंची है. जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई है, ओलावृष्टि के साथ तेज हवाओं और बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया, जिससे खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं. स्थानीय किसानों के अनुसार गेहूं, चना,सरसों और अन्य फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.जो इस समय पकने की स्थिति में थीं. पटेरा,कुण्डलपुर और दमोह जिले के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई इस असामान्य ओलावृष्टि ने न केवल खेती को नुकसान पहुंचाया.बल्कि प्रकृति और जीव-जंतुओं पर भी गहरा प्रभाव डाला है. ओलावृष्टि इतनी तीव्र थी कि क्षेत्र की सड़कों पर बर्फ की मोटी परत जम गई, जिससे यह इलाका कश्मीर या शिमला जैसे हिल स्टेशनों की तरह दिखने लगा. पहाड़ियों से घिरा यह क्षेत्र अचानक एक ठंडे और बर्फीले परिदृश्य में बदल गया, जो देखने में तो आकर्षक हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों और पर्यावरण के लिए गंभीर चुनौतियां लेकर आया है.
पक्षियों को भी इस आपदा से भारी नुकसान हुआ है.तेज ओलों और ठंड के कारण कई पक्षी घायल हुए या मारे गए, जिससे क्षेत्र की जैव-विविधता पर असर पड़ा है. किसानों की स्थिति तो और भी दयनीय हो गई है. उनकी तैयार फसलें, जो कटाई के लिए लगभग तैयार थीं, इस ओलावृष्टि में पूरी तरह बर्बाद हो गईं. गेहूं, चना, मसूर, सरसों और अन्य फसलों के नष्ट होने से किसानों की साल भर की मेहनत और आय के स्रोत पर संकट आ गया है.इस प्राकृतिक आपदा ने उनकी आजीविका को गहरी चोट पहुंचाई है, जिससे वे गहरी चिंता और अनिश्चितता में हैं.इस स्थिति में स्थानीय प्रशासन और सरकार से त्वरित राहत कार्यों की उम्मीद की जा रही है, ताकि प्रभावित किसानों को मुआवजा और सहायता मिल सके.मौसम के इस अप्रत्याशित रुख ने सभी को हैरान कर दिया है, और आने वाले दिनों में स्थिति पर नजर रखना जरूरी होगा.
*प्रशासन पर मौके पर पहुंचा*
ओलावृष्टि के बाद प्रशासनिक अमला मुस्तेद है. हटा एसडीएम राकेश मरकाम,तहसीलदार प्रवीण त्रिपाठी, तहसीलदार राजेश सोनी ओलावृष्टि प्रभावित क्षेत्र भ्रमण पर पहुंचे.किसानों से चर्चा कर नुकसान का जायज़ा लिया.