नयी दिल्ली, 18 मार्च (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि मोदी सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है और मणिपुर का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है तथा इसमें सभी को एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए।
श्रीमती सीतारमण ने सदन में विनियोग विधेयक 2025, विनियोग (संख्या दो) विधेयक 2025, मणिपुर विनियोग (लेखानुदान) विधेयक 2025 और मणिपुर विनियोग विधेयक 2025 पर सोमवार को हुयी चर्चा का मंगलवार को जवाब दिया और संघर्षग्रस्त मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को उचित ठहराते हुए कहा कि बजट का उद्देश्य जातीय संघर्षों से प्रभावित अर्थव्यवस्था की चिंताओं को दूर करना है। उन्होंने कहा कि मणिपुर एक संवेदनशील मुद्दा है और सभी दलों को राज्य में स्थायी शांति लाने के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए।
श्रीमती सीतारमण जब जवाब दे रही थी तभी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य जोर-जोर से बोलने लगे। इस पर वित्त मंत्री ने तृणमूल सदस्य सुस्मिता देव को नाम लेते हुये कहा कि वह जिस क्षेत्र से आती हैं वह मणिपुर के बहुत करीब है इसलिए बहुत कुछ जानती होंगी लेकिन उनको जवाब सुनना चाहिए। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस के सदस्य वाकआउॅट कर गये।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सदस्यों की यही आदत है। पहले पूछते हैं जब जवाब दो तो सुनना नहीं है। चले जाते हैं। कोलकाता की गलियां समझ रखा है। जब चाहा गलियां में आकर नारेबाजी की और चले गये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मणिपुर नहीं जाने के विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुये उन्होंने कहा कि मणिपुर का मामला पांच छह दशक पुराना है। कांग्रेस की वर्षाें तक सरकार रही थी और उस दौरान ही वहां हिंसा हुआ करती थी। सैकड़ों लोग मारे गये और सैकड़ों घरो को जलाया गया लेकिन कांग्रेस के कार्यकाल में प्रधानमंत्री तो छोड़िये गृह मंत्री भी मणिपुर नहीं गये। अभी गृह मंत्री अमित शाह चार दिन मणिपुर में रहे हैं और इस दौरान उन्होंने एक-एक शिविर का दौरा किया और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लगातर 23 दिनों तक वहां रहकर स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में नाकेबंदी से राज्य को बहुत नुकसान हुआ था। अठाईस सौ करोड़ रुपये से अधिक का सरकार के राजस्व को नुकसान हुआ था और इस दौरान गैस सिलेंडर दो हजार रुपये और पेट्रोल 200 रुपये प्रति लीटर हो गया था। उन्होंने कहा कि वर्ष1990 से 1993 के दौरान भी मणिपुर में भारी हिंसा हुयी थी और उस दौरान भी 750 से अधिक लोग मारे गये थे तथा 350 गांवों को जला दिया गया था। इन घटनाओं के बावजूद न:न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री और न:न ही गृह मंत्री ने मणिपुर का दौरा किया था। इसी तरह की घटना वर्ष 1997 -98 में भी हुयी थी जिसमें भी सैकड़ो लोग मारे गये थे और घरों को जलाया गया था। जब भी तत्कालीन प्रधानमंत्री आई के गुजराल ने मणिपुर का दौरा नहीं किया था।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि विपक्षी सदस्य प्रधानमंत्री के मणिपुर नहीं जाने को मुद्दा बनाते रहते हैं, लेकिन सरकार के लिए पूरा देश एक समान है। जब जहां जरूरत होती है प्रधानमंत्री जाते हैं। प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रधानमंत्री वायनाड गये थे। मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरे देश का ध्यान रखा जा रहा है।
उन्होंने वामपंथी सदस्य संतोष कुमार पी द्वारा चर्चा के दौरान उठाये गये सवालों का जवाब देते हुये वामपंथ की नीतियों के कारण पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल में उद्योग लगभग समाप्त हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में अभी 60 हजार लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। सात हजार लोग अभी अपने-अपने घराें को लौट गये हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत 700 घर बनाने को मंजूरी दी गयी है। वहां के लोगों को राहत देने के लिए कई प्रयास किये गये हैं और इस क्रम में पीएम योजना आवास के तहत घरों के निर्माण की योजना बनाई गई है ताकि शिविरों में रहने वाले लोग वापस लौट सके और उन्हें अपने घरों में रहने का मौका मिले।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के पास एक आकस्मिक कोष होता है, लेकिन मणिपुर में नहीं था। अगले वित्त वर्ष के बजट में 500 करोड़ रुपये से यह कोष बनाया गया है। पिछले दो साल के दौरान मणिपुर को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन सरकार वहां दो समुदायों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए पूरे शिद्दत से काम रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर में आर्थिक स्थिति की बहाली के लिए भी काम कर रही हैं और सरकार वहां आर्थिक सुधार के लिए सभी आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है ताकि वहां के हालात में तीव्र गति से सुधार हो सके। सरकार वहां के आर्थिक हालात सुधारने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। केंद्र और राज्य के प्रयासों से मणिपुर में कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि मणिपुर में आईआईआईटी मयांखा में प्राथमिकता के साथ काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर के लिए कुल 35 हजार करोड़ में से 17 हजार करोड़ रुपए वहां सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हैं। सरकार वहां शांति बहाली के लिए सारे जरूरी कदम उठा रहे हैं।
गत सोमवार (10 मार्च) को 2025-26 के लिए मणिपुर का बजट पेश किया गया था, जिसमें 35,103.90 करोड़ रुपये के व्यय की परिकल्पना की गई थी, जो चालू वित्त वर्ष में 32,656.81 करोड़ रुपये से अधिक है। मार्च 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष की तुलना में राज्य में कुल पूंजीगत व्यय में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 7,773 करोड़ रुपये है। केंद्र ने संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात पुलिस कर्मियों के प्रोत्साहन के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 2,866 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के लिए राहत और पुनर्वास के लिए, अस्थायी आश्रय के लिए 15 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं, विस्थापित लोगों के लिए आवास के लिए 35 करोड़ रुपये, राहत अभियान के लिए 100 करोड़ रुपये और मुआवजे के लिए सात करोड़ रुपये दिए गए हैं।
मणिपुर वर्तमान में राष्ट्रपति शासन के अधीन है। पिछले महीने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जारी उद्घोषणा के परिणामस्वरूप, राज्य के विधानमंडल की शक्तियाँ संसद द्वारा या उसके अधिकार के तहत प्रयोग की जा सकती हैं।
इसके साथ ही सदन ने मणिपुर से संबंधित धन विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूर कर लोकसभा को लौटा दिया।