राधौगढ।
किले पर अग्रेजी हुकुमत से जीत के बाद मनाये गये जश्न की सदियो पुरानी परम्परा होली के ’’ हिल्ले ’’ के रूप में आज भी विधमान है। जहा सन 1816 का वही बरगद के पेड का स्थान और उसी गॉव के सेना सूचक ग्रामीणो का अंदाज शौर्य गाथा के रूप में किले का इतिहास होली की तीज के दिन दोहराया जाता है। जब अग्रेजो से विजय हासिल करने के बाद की वही झलक इस दिन देखी जाती है जहा राज परिवार के सदस्य जीत की खुशी में सेना सुचक ग्रामीणो से ही नही बल्कि सैकडो लोगो के साथ आस्था की होली खेलते है। 209 वर्ष से लगातार चली आ रही प्राचीन परम्परा की झलक सोमवार को सामने आई जब दिग्विजय सिंह के अनुज पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह ने ग्रामीणो का अभिवादन करते हुये रंग- गुलाल की होली खेली और परम्परा कायम रखी। इस दौरान किला परिसर नगडियो की ताल और नृत्यांगनाओं के ठुमकों के बीच रंग-गुलाल से सराबोर हो गया।